बांग्लादेश पर प्रतिबंध से चमकेगा वस्त्र उद्योग : कारोबारियों ने डोमेस्टिक बाजार बढ़ने की जताई संभावना

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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कानपुर : भारत की ओर से बांग्लादेश पर विशेष प्रतिबंध लगाया गया है। इस प्रतिबंध के तहत अब बांग्लादेश भारत के सिर्फ दो पोर्ट कोलकाता और नावाशिका में अपने उत्पादों को ला सकता है। इस निर्णय के बाद खासतौर पर बांग्लादेश के वस्त्र उद्योग को झटका माना जा रहा है। उधर उत्पादों के प्रवेश पर अंकुश लगने के बाद उद्यमी इसे देश के लिए बेहतर मान रहे हैं। खासतौर से शहर के व्यापारी इसे वस्त्र उद्योग के लिए सहूलियत बता रहे हैं।

भारत की ओर से बांग्लादेश पर लगे आयात प्रतिबंध से रेडीमेड कारोबार के लिए लाभदायक माना जा रहा है। उद्यमियों का मानना है कि इससे बांग्लादेश का सस्ता रेडमेड उत्पाद के अब देश में आने में कमी होगी। डिमांड और सप्लाई चेन के प्रभावित होने से घरेलू बाजार में यहां के उद्यमियों को प्रतिस्पर्धा करने में आसानी होगी। उद्यमियों का यह भी मानना है कि इस कदम के साथ यदि वस्त्र उद्योग को लोन में दी गइ्र सब्सिडी पर भी सहूलियत दी जाए तो और अधिक प्रतिस्पर्धा बांग्लादेश के रेडीमेड कारोबार को दी जा सकती है। शहर की बात की जाए तो यहां के कारोबारियों का यह भी मानना है कि निर्यात के दौरान भी बांग्लादेश के उत्पाद वहां पर मिलने वाली कारोबारी सहूलियत का लाभ उठाते हैं। वहां पर मिलने वाली सब्सिडी और सस्ते श्रम का उन्हें लाभ मिलता है। इससे शहर के निर्यातक अक्सर कारोबार में पिछड़ जाते हैं। ऐसे में यदि सरकार की ओर से उद्यमियों को सहूलियत दी जाए तो यूरोपियन बाजार में शहर के उद्यमी वस्त्र उद्योग में अपनी धाक जमा सकते हैं।   

लघु उद्योग भारती के प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र मुर्जानी ने बताया कि बांग्लादेश पर लगा प्रतिबंध शहर के वस्त्र उद्योग से जुड़े कारोबारियों व निर्यातकों को सहूलितय देगी। इससे डोमेस्टिक मार्केट में प्रोडक्ट के गैप को भरने मे शहरी उद्यमी जरूरी प्रयास करेंगे। दो महीने में इसका असर बाजार में दिखाई देने लगेगा। फिलहाल 15 दिनों में स्थिति और अधिक साफ होगी। लॉर्ड शिवा इंटरनेशनल के एमडी सुशील टकरू ने बताया कि सरकार का यह कमद अच्छा है लेकिन निर्यात कारोबार में प्रतियोगिता के लिए हम लोगों को भी बांग्लादेश जैसी सहूलियत मिलनी चाहिए। एक जनवरी से सरकार की ओर से लोन पर सब्सिडी खत्म कर दी गई है। यह सब्सिडी निर्यातकों को दोगारा मिलनी चाहिए। अब निर्यातकों की पूंजी विदेशी ऑर्डर पर 60 दिन के लिए फंसती है। ऐसे में सब्सिडरी बहुत जरूरी है। 

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