पीलीभीत: खसरे में हाईवे की सड़क, बैनामे में दर्शाई खेती, चकरोड भी करा रहे बंद...IGRS पर हुई शिकायत
पीलीभीत, अमृत विचार। बरेली हाईवे पर देवहा पुल के पास की एक जगह को लेकर विवाद इन दिनों चर्चा का विषय बन चुका है। आईजीआरएस पर की गई शिकायत के बाद इसकी जांच कराई जा रही है। खास बात ये है कि जिस जमीन को कृषि भूमि बताकर बैनामा कराया गया है। वह गाटा संख्या अभिलेखों में बरेली हाईवे पर सड़क के तौर पर भी दर्ज है। जबकि बैनामा कराते वक्त उसमें ईख खड़ी दर्शाई गई है। आरोप ये भी है कि चकरोड भी एक तरफ से बंद कराया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। वहीं, इससे जुड़े नक्शे भी मुहैया कराए हैं। इसमें राजस्व कर्मियों से लेकर रजिस्ट्री कार्यालय तक गोलमाल का अंदेशा जताया है।
शहर के रहने वाले इमरान की ओर से मामले की शिकायत 21 मई को आईजीआरएस पर की गई है। जिसमें बताया है कि बरेली हाईवे पर देवहा पुल के पास की जगह का गाटा संख्या 277 हाईवे की सड़क के तौर पर खसरे में दर्ज है। इसके दोनों तरफ से चकरोड़ भी गुजरा हुआ है। पिछले साल अक्टूबर माह में 0.1756 हेक्टेयर का बैनामा दो लोगों के नाम पर शहर के एक व्यक्ति की ओर से कराया गया है। जिसमें इसे कृषि भृमि दर्शाया गया है। उनका कहना है कि इसमें सड़क वाले गाटा संख्या को भी कृषि भूमि बताया गया है। उस पर गन्ने की खेती दर्शा दी गई है। अब खरीदार निर्माण कार्य कराकर चकरोड भी एक तरफ से बंद करने का प्रयास कर रहे हैं। नींव भरवाकर दीवार उठाने का प्रयास किया जाने लगा तो उन्होंने शिकायत भी की। राजस्वकर्मियों से साठगांठ करने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एक दिन पूर्व टीम के साथ पहुंचे राजस्वकर्मियों ने निर्माण कार्य को रोकवा दिया , लेकिन बुधवार को दोबारा से काम शुरू करा दिया गया। इस मामले की गहनता से जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है। एसडीएम सदर आशुतोष गुप्ता का कहना है कि इस मामले में जानकारी कराएंगे। जांच कराकर निष्पक्ष कार्रवाई कराई जाएगी।
..तो एक ही लेखपाल की दो अलग-अलग रिपोर्ट
शिकायतकर्ता ने इस मामले में एक लेखपाल की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इससे पहले इसी चकमार्ग को लेकर उनके द्वारा शिकायत की गई थी। उस वक्त एक अन्य पक्ष की ओर से इसे बंद कराने का प्रयास किया गया था। उस वक्त बताते हैं कि इसे चकमार्ग बताया गया था। इसकी बकायदा तहसीलदार की तरफ से रिपोर्ट दी गई थी, जोकि उनके पास है। आरोप है कि अब उसी लेखपाल ने इसे चकमार्ग नहीं माना। इसे लेकर टीम बनाकर जांच कराने की मांग की है।
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