ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण लज्जाजनक: शंकराचार्य

ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण लज्जाजनक: शंकराचार्य

प्रयागराज। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि पाकिस्तान का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना के जाबांजों का ऑपरेशन सिंदूर उत्साहजनक रहा लेकिन बाद में राजनीतिकरण लज्जाजनक बन गया। 

प्रयागराज के अरैल क्षेत्र में शिवाला पार्क के बगल गौ रामाधाम के कार्यक्रम में शनिवार को शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि पहलगाम में आतंकियों द्वारा पर्यटकों की हत्या के करीब एक महीने बीत जाने के बाद भी सरकार पता नहीं कर पा रही है कि आतंकी कहां से आए थे और कहां चले गए। 

पाकिस्तान पोषित आतंकवाद और आतंकवादियों मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना के जाबांजों का उत्साहजनक रहा लेकिन बाद में सरकार केंद्र सरकार ने उसका राजनीतिकरण कर अपमान किया है। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है कि सेना के शौर्य और साहस का इस तरह से राजनीतिकरण किया जा रहा है। 

आतंकवाद के खिलाफ सेना के साहस को बढ़ाने की बजाय देश की सरकार इसका राजनीतिकरण कर रही है। पाकिस्तान के साथ सीजफायर किन शर्तों पर हुआ और अमेरिका के राष्ट्रपति की उसमे क्या भूमिका रही इसके बारे में आज तक केन्द्र सरकार ने व प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा। ‘उल्टा यही कह रहे हैं कि मोदी की नसों में अब लहू नहीं, गरम सिंदूर बह रहा है।’ 

बकरीद को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा करने और निरीह पशु पक्षियों का वध कर उसे आहार के रूप में उपयोग में लेने का संदेश नहीं देता है। दुनिया के सभी धर्म अहिंसा, दया, करुणा, सहयोग, परोपकार और सह अस्तित्व का ही संदेश देते हैं। 

विश्व के सभी संत महात्माओं ने हर प्राणी मात्र में ईश्वर का अंश देखा है। शंकराचार्य ने कहा कि हम राजनीतिक दृष्टि से सक्षम नहीं है हम धर्माचार्य हैं क्योंकि हमने राजनीति में नहीं बल्कि धर्म के क्षेत्र में काम किया है। इसलिए सभी सनातनियों को प्रेरित कर रहे हैं कि गौ मतदाता बनो और जो गाय के लिए खड़ा होगा उसको लोग वोट करेंगे। 

उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी हिंदुओं के लिए नहीं है, कोई भी पार्टी हिंदुओं के बारे में साफ-साफ बोलने को तैयार नहीं है। हमारे नेता हमारे वोट लेकर संसद में जाते हैं और गाय के काटे जाने पर कोई सवाल नहीं करते।