Tiger terror : पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ के हमले जारी, 27 दिनों में 5 लोगों की जान गई
Tiger attacks continue in Pilibhit: पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ के हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। महज 27 दिनों में बाघ के हमलों में 5 लोगों की जान चली गई है, जिससे वन विभाग और टाइगर रिजर्व प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
बाघ हमलों के आंकड़े चौंकाने वाले
वर्ष 2016 से अब तक करीब 56 लोग बाघ के हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टाइगर रिजर्व का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन आवश्यक संसाधन नहीं दिए गए। सीमित संसाधन और 50% स्टाफ के साथ वन और वन्यजीवों की सुरक्षा करना मुश्किल हो रहा है। टाइगर रिजर्व प्रशासन मानव-बाघ सहअस्तित्व अभियान फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा है। इस अभियान के तहत जंगल से सटे गांवों में बाघ एक्सप्रेस भेजकर ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा। वन अफसर भी बाघ हमलों में आई तेजी की वजह जानने की कोशिश करेंगे।
बाघ हमलों के बाद ग्रामीणों में दहशत
बाघ हमलों के बाद ग्रामीणों में दहशत फैल गई है। ग्रामीण अपने बच्चों को जंगल की ओर भेजने से डर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग को बाघ के हमलों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
वन विभाग की चिंता
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघ हमलों में आई तेजी के बाद वन महकमा भी खासा सकते में है। टाइगर रिजर्व प्रशासन मानव-बाघ सहअस्तित्व अभियान की थमी कवायद एक बार फिर शुरू करने पर मंथन करने को मजबूर हो रहा है। वन अफसर बाघ हमलों में आई तेजी की वजह भी जानने की कोशिश करेंगे।
बाघ हमलों के आंकड़े
- 14 मई - हंसराम, नजीरगंज
- 18 मई - रामप्रसाद, चतीपुर
- 25 मई - लौंग देवी, खिरकिया बरगदिया
- 3 जून - रेशमा देवी, शांतिनगर
- 9 जून - मुकेश कुमार, मेवातपुर
क्या है इसके पीछे की वजह?
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पीलीभीत टाइगर रिजर्व बनने के बाद से ही बाघ के हमलों में इजाफा हुआ है। टाइगर रिजर्व का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन आवश्यक संसाधन नहीं दिए गए। सीमित संसाधन और 50% स्टाफ के साथ वन और वन्यजीवों की सुरक्षा करना मुश्किल हो रहा है।
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