लखीमपुर खीरी: दुधवा में 115 साल बाद दिखा आर्किड का दुर्लभ फूल

लखीमपुर खीरी: दुधवा में 115 साल बाद दिखा आर्किड का दुर्लभ फूल

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। बाघों और एक सींघ वाले गैंडों के साथ ही अन्य वन्यजीवों और अपनी जैव विविधता से परिपूर्ण दुधवा नेशनल पार्क के सोठियाना वन रेंज में रविवार को दुर्लभ आर्किड फूल देखा गया है। दुधवा प्रशासन का कहना है कि यह फूल करीब 115 साल बाद दिखाई पड़ा है। इसे विलुप्तप्राय श्रेणी में रखा गया था। दुधवा में अंतिम बार 1909 में इसे देखा गया था। इसके बाद यह फूल 2017 में बांग्लादेश में पाया गया था।

दुधवा नेशनल पार्क में जंगली जीवों के अलावा और भी बहुत कुछ है। यहां रंग-बिरंगी 500 से अधिक प्रकार की विभिन्न प्रजाति की तितलियां पर्टटकों का मनमोह लेती हैं। यहां जंगल में खिलने वाले रंग बिरंगे फूल भी पर्यटकों को लुभाने में रंग बिरेंगे खुशबूदार फूल भी पीछे नहीं है। पर्यटन सत्र-2024-25 के समापन पर रविवार को दुधवा नेशनल पार्क में एक सुखद और अभूतपूर्व खबर सामने आई है। जैव विविधता पार्क में पूरी तरह खिले आर्किड की जीवंत छटा से जगमगा रहा है। यह फूल सोठियाना और दक्षिण सोनारीपुर रेंज क्षेत्र में दिखाई दिया है। लुप्तप्राय प्रजातियों सहित ऑर्किड की 25000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। 

इनमें से करीब 1300 प्रजातियां भारत में हैं। यह 132 से अधिक देसी फलों, औषधीय पौधों, बांस की 72 प्रजातियों, बेंत की 12 प्रजातियों, क्षेत्र में उगाए जाने वाले चावल की 200 से अधिक किस्मों के साथ एक चावल बीज बैंक और पार्क के तालाब में विभिन्न स्थानीय मछली प्रजातियों का संरक्षण भी करता है। दुधवा टाइगर रिजर्व के लिए यह एक शुभ संकेत है। मुख्य तौर पर यह पौधा पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। उत्तराखंड, सिक्किम, दार्जलिंग या गुवाहटी के पहाड़ियों पर यह पौधा मिलता है। दुधवा में वन विभाग अब इस क्षेत्र में आर्किड की विस्तृत खोज और अध्ययन की योजना बना रहा है। एच. राजा मोहन, एफडी, दुधवा टाइगर रिजर्व  ने बताया किआर्किड लुप्तप्राय की श्रेणी में है। इसका दुधवा में देखा जाना काफी सुखद है। आर्किड की यह प्रजाति केवल किसी विशेष कीट द्वारा परागित होती है।

आर्किड क्या है?
आर्किड पौधों का एक कुल है, जिसके सदस्यों के पुष्प अत्यंत सुंदर और सुगंधयुक्त होते हैं. आर्किडों ही पुष्प जगत में बड़ी प्रतिष्ठा है. क्योंकि इनके रंग रूप में विलक्षण और विचित्रता है, ऑर्किड बहुवर्षी बूटों का विशाल समुदाय है, जो प्राय: भूमि पर अथवा दूसरे पेड़ों पर उगते हैं, यह कुकुरमुत्ते के समान मृतभोजी जीवन बिताते हैं, मृतभोजी और्किडों में पर्णहरिम (क्लोरोफ़िल) नहीं होता. जो ऑर्किड वृक्षों पर होते हैं, उनमें बरोहियां (वायवीय जड़ें) होती हैं. जिनकी बाहरी पर्त में जलशोषक तंतु होते हैं

पीलीभीत में भी पाया गया था आर्किड
आर्किड का पौधा पीलीभीत जिले में भी पाया गया था। अब यह दुधवा में भी पाया गया है। ये फूल एशियाई और पश्चिमी दोनों संस्कृतियों में एकता, सुंदरता और प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं। इनकी खासियत इनका आकार, रूप, रंग और बनावट है, जो किसी अन्य पुष्प से मेल नहीं खाते। इस फूल को आप किसी भी स्थान पर आसानी से उगा सकते हैं, फिर चाहे वह ट्रॉपिकल तापमान वाली जगह हो या आपके घर का बगीचा ही क्यों न हो।