हाईकोर्ट ने पिता-पुत्र की गिरफ्तारी पर लगाई रोक, बेटी ने जताई थी अपहरण की आशंका

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने की इच्छा रखने वाली एक 27 वर्षीय महिला को संरक्षण प्रदान करते हुए कहा कि एक वयस्क महिला द्वारा अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने के निर्णय पर परिवार द्वारा आपत्ति जताना घृणास्पद है, क्योंकि यह अधिकार प्रत्येक वयस्क को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त है।

हाईकोर्ट ने कहा यह सत्य है कि इस तरह के अधिकारों के प्रयोग के लिए सामाजिक और पारिवारिक बंधन है, साथ ही हमारे समाज में संवैधानिक मानदंडों और सामाजिक मानदंडों के बीच एक स्पष्ट मूल्य अंतर है, जब तक संविधान द्वारा पोषित मूल्यों और समाज द्वारा पोषित मूल्यों के बीच अंतर रहेगा, तब तक इस तरह के प्रतिविरोध सामने आते रहेंगे। उक्त आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने शिकायतकर्ता महिला के पिता और भाई द्वारा दाखिल याचिका पर विचार करते हुए पारित किया।

याचिका में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 140(3), 62 और 352 के तहत महिला द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि शिकायतकर्ता को अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने की वजह से अपने पिता और भाई द्वारा अपहरण का भय है। हालांकि कोर्ट ने मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, लेकिन उन्हें महिला के जीवन में हस्तक्षेप करने, उस पर हमला करने, धमकी देने या उस व्यक्ति से संपर्क करने से रोक दिया, जिससे वह शादी करना चाहती है। अंत में संबंधित प्राधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए उन्हें मामले में तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई आगामी 18 जुलाई 2025 के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

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