बाराबंकी में सरकारी स्कूलों के मर्जर पर पूर्व सांसद का हमला : बोले सरकारी स्कूल सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं हैं
बाराबंंकी : प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को मर्ज करने की योजना को लेकर पूर्व सांसद डॉ. पीएल पुनिया ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे न केवल गरीब, दलित, पिछड़े और आदिवासी वर्ग के बच्चों के भविष्य पर सीधा हमला बताया, बल्कि इसे संविधान के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश करार दिया।
सरकारी स्कूलों का महत्व
डॉ. पुनिया ने कहा कि सरकारी स्कूल सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक समरसता, लैंगिक समानता और अवसर की समानता के प्रतीक हैं। अगर आज हमने आवाज नहीं उठाई, तो आने वाली पीढ़ियाँ शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाएंगी। उन्होंने मर्जर नीति को शिक्षा के निजीकरण और बाजारीकरण को बढ़ावा देने वाला फैसला बताया जिससे समाज के सबसे कमजोर वर्ग को और पीछे धकेला जाएगा।
भाजपा सरकार पर निशाना
पूर्व सांसद ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर देशभर में प्राथमिक विद्यालयों का जाल बिछाया और मिड-डे-मील व प्राथमिक शिक्षा मिशन जैसी योजनाओं से लाखों गरीब बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ा, लेकिन आज की सरकार इन उपलब्धियों को मिटाने पर तुली है।
आंदोलन की चेतावनी
डॉ. पुनिया ने चेतावनी दी कि अगर भाजपा सरकार यह फैसला वापस नहीं लेती, तो कांग्रेस पार्टी सड़क से संसद तक आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करेगी और सरकार को संविधान विरोधी नीति को वापस लेने के लिए बाध्य किया जाएगा।
आंदोलन में भागीदारी का आह्वान
कांग्रेस पार्टी ने इस आंदोलन में सभी कांग्रेसियों, शिक्षक संगठनों, अभिभावकों और सामाजिक संगठनों से सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया है। पुनिया ने कहा कि यह केवल सरकारी स्कूल बचाने की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह भारत के भविष्य और गरीब बच्चों के अधिकार की लड़ाई है।
सरकारी स्कूलों के मर्जर के परिणाम
सरकारी स्कूलों के मर्जर से गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित होने का खतरा है। इससे समाज में असमानता और बढ़ेगी और गरीब बच्चों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट किया है कि वह सरकारी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ है और इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी। पार्टी ने सभी लोगों से इस आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया है और सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।
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