बदायूं: बारिश शुरू होते ही होने लगी धान की रोपाई...ताज की पौध लगा रहे किसान

Amrit Vichar Network
Published By Monis Khan
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बदायूं, अमृत विचार। मानसून की बारिश ने किसानों के हाथ पैर खोल दिए हैं। खेतों में पानी भर जाने से धान की रोपाई शुरू हो गयी है। किसान दिन रात धान की पौध लगा रहे हैं।

आषाढ़ मास में बारिश होती है। लेकिन इस बार कुछ देर से बारिश ने दस्तक दी है। फिर भी अभी हल्की बारिश हो रही है। कहीं कहीं पर मंगलवार और बुधवार को बारिश तेज हुई है जिससे खेतों में पानी भर गया है। खेतों में पानी भर जाने से किसानों ने धान की पौध लगानी शुरू कर दी है। 

ब्लॉक जगत के गांव सिमरिया में किसानों ने धान की पौध लगानी शुरू कर दी है। किसान अंकित ने बताया कि अब तक 50 एकड़ में धान लगाया जा चुका है। करीब सौ बीघा धान और लगाया जाएगा। बारिश होने से फायदा हुआ है। कई किसानों ने धान लगा दिया है। जो खेत निचले स्थान पर हैं वहां बारिश का पानी भर गया है। उन खेतों में धान लगाया जा रहा है।

रसूलपुर निवासी राजवीर ने बताया कि अभी जो धान लगाया जा रहा है वह अक्टूबर में तैयार होगा। धान के बाद किसान सरसों लगाएंगे। इसलिए किसान धान की अगेती प्रजाति की पौध लगा रहे हैं। यह धान सबसे पहले तैयार होता है। पैदावार भी ठीक होती है इसलिए किसान अभी ताज धान की पौध ही लगा रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब चार छह दिन बाद बारिश होगी तब तक यह पौध खेत में लग चुकी होगी।

उदमई निवासी किसान संतोष ने बताया कि शरबती धान जुलाई के अंत तक लगाया जाता है। सरबती की पौध अब किसान तैयार कर रहे हैं जबकि ताज धान की पौध तैयार हो चुकी है। किसान खेतों में रोपाई कर रहे हैं। बताया कि सावन माह तक धान लगाया जाता है जिसका उत्पादन ठीक होता है।

बासमती और हंसराज धान की पौध तैयार की जा रही है। यह दोनो प्रजातियां कम उत्पादन देने वाली हैं लेकिन इनका चावल सौ रूपए किलो बिकता है इसलिए जुलाई के अंत में यह पौध लगाई जाती है। शरबती धान बाजार में सबसे महंगा बिकता है हंसराज भी महंगे दाम पर बिकने वाला धान है। बहुत कम किसान यह धान लगाते हैं। इनकी पैदावार दो से ढाई क्विंटल बीघा के हिसाब से होती है।

तराई क्षेत्र में धान पहले लगाया जाता है। उसहैत, दातागंज उसावा, हजरतपुर, सैजनी चितरी आदि क्षेत्रों में पचास प्रतिशत धान लगाया जा चुका है।क्योकि इधर पानी काफी ऊपर है। किसान अपने संसाधनों से खेतों में पानी भर लेते हैं और धान की पौध जून शुरू होते ही लगा देते हैं। जबकि दूसरे इलाकों में धान जुलाई के अंत तक लगाया जाएगा।

 

 

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