पीलीभीत के बाघ मित्रों का डंका महाराष्ट्र भी गूंजेंगा, ताडोबा अंधारी जंगल में सिखाएंगें ये गुर
पीलीभीत, अमृत विचार। बाघों की सुरक्षा एवं निगरानी समेत मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने में पीलीभीत टाइगर रिजर्व का बाघ मित्र मॉडल खासा मुफीद साबित हो रहा है। विश्व प्रकृति निधि के सहयोग से पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ मित्र मॉडल को मिली सफलता के बाद अब तक इसे पांच वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में लागू किया जा चुका है। अब जल्द ही पीलीभीत के बाघ मित्र महाराष्ट्र के ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में जाकर वहां के जंगल वालंटियर्स को ट्रेनिंग देने के साथ उन्हें प्रोत्साहित भी करेंगे।
जनपद के जंगल को जून 2014 में टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया था। टाइगर रिजर्व बनने के बाद मानव-वन्यजीव संघर्ष के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। साल दर साल बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए इसकी रोकथाम के प्रयास शुरू किए गए। पीलीभीत टाइगर रिजर्व एवं विश्व प्रकृति निधि (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने बाघ मित्र योजना बनाते हुए जंगल सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले कुछ जागरूक युवाओं को टीम में शामिल किया। विशेषज्ञों द्वारा इन युवाओं को बाघ एवं तेंदुए के पदचिन्ह और उनके व्यवहार के प्रति प्रशिक्षित किया गया। वर्ष 2020 आते-आते सभी वालंटियर्स ने अपनी जिम्मेदारी भलीभांति संभाल ली और अपने-अपने क्षेत्रों में दिए गए दायित्वों को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। बाघ मित्र प्रोजेक्ट को खासी सफलता मिली।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार के मुताबिक शुरुआत में पीटीआर क्षेत्र में बाघ मित्रों की संख्या 60 रखी गई थी, जो अब बढ़कर 120 हो गई है। बाघ मित्रों की सक्रियता का ही परिणाम है कि जंगल सीमा से सटे लोग अब बाघ या तेंदुआ दिखने पर हिंसक होने के बजाय इन वन्य जीवों के व्यवहार को समझने लगे हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी देखी जा रही है।
अमानगढ़ समेत पांच वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में हो चुका है लागू
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बाघ मित्र प्रोजेक्ट ने सफलता की ऐसी कहानी गढ़ी कि इसकी गूंज देश के अन्य टाइगर रिजर्व तक जा पहुंची। पीलीभीत के बाघ मित्र प्रोजेक्ट को इस कदर सराहना मिली कि बाघ-तेंदुओं की सुरक्षा एवं निगरानी के मायने से मुफीद पाते हुए इसे दक्षिणी खीरी वन प्रभाग, उत्तरी खीरी वन प्रभाग (दुधवा टाइगर रिजर्व का बफर एरिया), कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में लागू किया जा चुका है। बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में भी इस मॉडल से प्रोत्साहित होकर जंगल वालंटियर्स रखे गए हैं। इन सभी को भी पीलीभीत के बाघ मित्रों द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। बीते सालों में तंजानियां एवं केन्या से आए वन अफसर भी यहां आकर मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में मददगार बन रहे बाघ मित्रों से संबंधित प्रोजेक्ट का अध्ययन कर चुके हैं।
जंगल वालंटियर्स को सिखाएंगे गुर
पीलीभीत के बाघ मित्रों का दल महाराष्ट्र के ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व के जंगल वालंटियर्स को अपने काम करने के तौर-तरीकों से रूबरू कराएंगे। विश्व प्रकृति निधि के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि 20 बाघ मित्रों का दल 05 मई को ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व जाएगा। बाघ मित्र वहां के जंगल वॉलंटियर्स को अपनी काम करने के तौर-तरीके सिखाने के साथ जंगल वॉलंटियर्स किस तरह से अपने कामकाज को अंजाम देते हैं, इस बारे में सीखेंगे।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि विश्व प्रकृति निधि एवं पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रयास से तैयार किया गया बाघ मित्र प्रोजेक्ट बाघों की सुरक्षा एवं निगरानी में खासा मददगार साबित हो रहा है। बाघ मित्र प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए इसके अन्य संरक्षित वन क्षेत्रों में लागू किया गया है। प्रयास किया जा रहा है कि इसे और भी बेहतर बनाया जाए।
