डिजिटल प्रौद्योगिकी अपराध से जुड़े मामलों में वृद्धि समाज के लिए चिंताजनक: हाईकोर्ट

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप के माध्यम से एक महिला की अश्लील तस्वीरें प्रसारित करने वाले आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी अपराध का चेहरा बदल रहा है। किसी व्यक्ति की अश्लील तस्वीरें जब सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक प्लेटफार्म पर प्रसारित होती हैं, तो वह जीवन को नष्ट कर सकती है।

कोर्ट ने इस तरह के मामलों को समाज के लिए एक गंभीर खतरा बताया। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकलपीठ ने रामदेव की याचिका को खारिज करते हुए की। याची के खिलाफ बीएनएस की विभिन्न धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 ए के तहत पुलिस स्टेशन उतरांव, प्रयागराज में मामला दर्ज कराया गया था।

उस पर आरोप था कि उसने पीड़िता की निजी तस्वीरों को व्हाट्सएप के जरिए प्रसारित किया। इस कारण साल की शुरुआत में उसे गिरफ्तार कर लिया गया और अप्रैल 2025 में ट्रायल कोर्ट द्वारा उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई, जिसके बाद याची ने हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान याचिका दाखिल की। 

कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए संबंधित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के उपनिदेशक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि फोरेंसिक रिपोर्ट 2 महीने के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाए और मामले की शीघ्र सुनवाई कर निस्तारण किया जाए। 

अंत में कोर्ट ने महिलाओं के अभद्र वीडियो के भंडारण और प्रसारण के बढ़ते मुद्दों पर चिंता जताते हुए आईटी से संबंधित अपराधों और साइबर अपराधों की जांच की खराब गुणवत्ता को जांच की कार्य प्रणाली में एक बड़ी खामी बताया और ऐसे मामलों में यूपी पुलिस की जांच की गुणवत्ता को भी कमजोर बताया।

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