लखनऊ : सैन्य अधिकारी का जाली मृत्यु प्रमाण पत्र बना बेच दी 150 करोड़ की जमीन
जिंदा रहते हुए 16 वर्ष पहले कागजों में भाई बनकर हासिल की 20 एकड़ जमीन, दो महिला व बिल्डर संग मिलकर प्लाटिंग कर बेची
लखनऊ, अमृत विचार: मोहनलालगंज स्थित स्व. सैन्य अधिकारी की करीब 150 करोड़ की जमीन हड़पने के पिता-पुत्र ने साजिश रची। उनके जिंदा रहते हुए जाली मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर आरोपियों ने करीब 16 साल पहले जमीन अपने नाम करायी। उसके बाद दो महिलाओं और बिल्डर की मदद से सात साल पहले प्लाटिंग कर जमीन बेच दी। फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब सैन्य अधिकारी की मौत के बाद पिछले साल जमीन का नामांतरण कराने लखनऊ आयी। डिप्टी रजिस्ट्रार की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव के निर्देश पर वजीरगंज पुलिस ने छह नामजद और तत्कालीन कानूनगो व लेखपाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
रामपुर के विलासपुर निवासी त्रिलोचन कौर (70) ने बताया कि सैन्य अधिकारी पति सूरत सिंह ने लखनऊ के ग्राम जैतीखेड़ा में दो बार में करीब 20 एकड़ जमीन खरीदी थी। ड्यूटी के चलते वह अक्सर शहर से बाहर रहते थे। इसका फायदा उठाकर गुरुविंदर सिंह ने चकबंदी कर्मियों की मिलीभगत कर सूरत सिंह को मृतक दिखा दिया। उनका भाई बनकर जून 2009 में करीब 11 एकड़ जमीन अपने पिता निर्मल सिंह के नाम करा ली थी। जब जमीन निर्मल सिंह के नाम दर्ज की गई तब सूरत सिंह जीवित थे।
आराेप है कि साजिश के तहत पिता-पुत्र ने नवंबर 2009 में उक्त जमीन में करीब साढ़े तीन एकड़ का बैनामा मनोरमा राय के नाम कर दिया। जिसमें जमीन की कीमत 10 लाख दिखायी गयी। इसके अलावा करीब 3 एकड़ जमीन का बैनामा मार्च 2010 में रेनू सिंह देव निवासी गाजियाबाद को 4.60 लाख में बेच दी। फिर गुरुविंदर, निर्मल व मनोरमा ने साजिश के तहत दिसंबर 2018 में चंद्रशेखर मोती राम जी देशभ्रतार के नाम जमीन का बैनामा कर दिया। चंद्रशेखर ने अपने एजेंट गोकुल शंकर राव निवासी महाराष्ट्र के माध्यम से प्लाटिंग कर 20 लोगों को बेच दी। सभी बैनामे में गुरुविंदर व गोकुल गवाह बने।
21 नवंबर 2022 को पति सूरत सिंह की मौत के बाद सितंबर 2024 में त्रिलोचन कौर उक्त जमीन का नामांतरण बेटे अमरजीत के नाम पर कराने के लिए उसके साथ लखनऊ आयी तो फर्जीवाड़े का पता चला। पीड़िता ने उपसंचालक कार्यालय लखनऊ में एक प्रार्थना पत्र दिया। जांच में पता चला कि पिता-पुत्र ने सूरत सिंह का जाली मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर अपने नाम कराया। उसके बाद मनोरमा, रेनू, चंद्रशेखर व गोकुल ने मिलकर प्लाटिंग कराकर बेच दी। उक्त फर्जीवाड़े में आराेपियों के साथ ही तत्कालीन लेखपाल व कानूनगो भी शामिल हैं। इंस्पेक्टर वजीरगंज राजेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
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