बारिश में सर्पदंश के मामले बढ़े, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट : जागरूकता की कमी से जा रही लोगों की जान

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
On

लखनऊ, अमृत विचार : बारिश के मौसम में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती है। सबसे ज्यादा मामले ग्रामीण क्षेत्र से आ रहे हैं। इसके बावजूद जागरूकता की कमी के चलते लोगों की जान जा रही है। रहीमाबाद के भदौरिया मजरा ससपन निवासी रामदेवी को खेत में शुक्रवार शाम काम करते समय सांप ने काट लिया। परिजन उसे लेकर माल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) गए। यहां स्नेक एंटीवेनम के तीन डोज दिए गए। सीएचसी अधीक्षक का कहना है परिजनों को तत्काल मरीज को लेकर बलरामपुर अस्पताल जाने को कहा गया। लेकिन वह घर चले गए, जहां हालत बिगड़ने पर केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। चिकित्सकों ने मरीज के समय से न आने की बात कही। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। अधिकतर केसों में देरी से अस्पताल पहुंचने के कारण ही मरीज की मौत हो जाती है।

सर्पदंश

मानसून आते ही सर्पदंश की घटनाएं बढ़ जाती है। इसको लेकर राजधानी के सभी अस्पताल अलर्ट किए गए है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोकने का एकमात्र तरीका उचित चिकित्सा उपचार के साथ-साथ सावधानी बरतना है। सामान्य दिनों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में कम से कम 10 एंटी-स्नेक वेनम (एएसवी) डोज उपलब्ध होती हैं, लेकिन मानसून के मौसम को ध्यान में रखते हुए एएसवी की संख्या बधाई गई है। उदाहरण के लिए, माल सीएचसी को एएसवी की 135 डोज, मोहनलालगंज में 190 और सरोजिनीनगर सीएचसी के पास 60 डोज है। अन्य केंद्रों पर भी मांग के अनुसार पर्याप्त स्टॉक भेजा गया है।

सांप डसने पर ये करें उपाय
  • सांप डसने पर सबसे पहले 108 को कॉल करें। एम्बुलेंस की मदद से तत्काल अस्पताल जाएं।
  • सर्प दंश पीड़ित को शांत रहना चाहिए, डरने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिससे जहर तेजी से शरीर में फैलता है।
  • शरीर के जिस हिस्से पर सांप ने काटा हो उसे स्थिर रखें।
  •  यदि हाथ मे डसा हो तो फैक्चर की तरह हाथ को मोड़ कर रखें
  •  सर्प दंश के बाद घाव को धोने, घरेलू इलाज करने में समय नष्ट करने की बजाए उसे जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाएं।
  • यदि संभव हो तो सांप की फोटो लें या पहचान के लिए मृत सांप को ले जाएं। जिससे चिकित्सक सांप को पहचान कर इलाज कर सकें।
  • काट कर चूसने जैसे उपाय न करें, न ही दबाव डालने वाली पट्टी बांधें। ये दोनों बिलकुल भी कारगर नहीं हैं।
बचाव के लिए ये करें उपाय

अंधेरे में चलते समय हमेशा टॉर्च का उपयोग करें, सुरक्षात्मक कपड़े और जूते पहनें, लंबी घास और सूखी पत्तियों के बीच चलने से बचें, आसपास के वातावरण को साफ रखें और चूहों, गिलहरियों से मुक्त रखें और अंधेरे में जाते समय सावधान रहें।

लखनऊ सर्पदंश

चार प्रजाति के सांप खतरनाक

नेशनल अवार्ड से सम्मानित एमआरएसपी सेवा समिति के संयोजक प्रदीप कुमार पात्रा ने बताया कि लखनऊ शहर व आसपास कोबरा, नाग, करैत, और वाइपर सांप खतरनाक प्रजाति के होते हैं। अक्सर लोग नाग और कोबरा को एक ही प्रजाति का समझ लेते हैं। जबकि दोनों प्रजाति अलग-अलग हैं। नाग की लंबई अधिकतम 4-5 फिट होती है। उसके फन पर त्रिशूल जैसी आकृति दिखती है। जबकि कोबरा की लंबाई 10-15 फिट तक होती है।

उसके फन पर कोई आकृति नहीं होती। इसके अलावा विशेषज्ञों का मानना है कि देश में पाए जाने वाले जहरीले सांपों की श्रेणी में करैत टॉप-4 की सूची में आता है। यह सांप इतना जहरीला होता है कि समय से इलाज न मिलने पर काटने के कुछ ही घंटो में व्यक्ति की मौत हो जाती है। यह सांप ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा पाया जाता है। वाइपर सांपभूरे रंग का होता है। शरीर पर गोल छल्ले जैसी आकृति होती है। सांपो के बारे में लोगों को पहचान न होने के कारण लोग इसे बिना विष वाला समझ लेते हैं।

सांप

सोते समय काटता है करैत, दर्द सिर्फ मच्छर के काटने जैसा

केजीएमयू के फरेंसिक मेडिसिन ऐंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग की ओर से सर्पदंश को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। विभाग की प्रोफेसर डॉ. शिउली का कहना है कि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में करैत प्रजाति का सांप अक्सर लोगों को रात में सोते समय काट लेता है। इसके काटने पर शख्स को दर्द महसूस नहीं होता और मच्छर के काटने जैसा निशान दिखता है। हालांकि काफी देर बाद पेट में जलन, आंखों में भारीपन और धुंधला दिखने जैसे लक्षण उभर आते हैं। ऐसे में जरा सी लापरवाही भी जानलेवा हो सकती है। लिहाजा तुरंत नजदीकी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाकर इलाज शुरू करवाना चाहिए।

जहर की आशंका पर 08887624287 करें डायल

सांप ने काटा हो, बिच्छू ने डंक मार दिया हो या किसी ने जहरीला पदार्थ खा लिया हो। ऐसे में आप मदद के लिए 08887624287 पर तुरंत डायल कर सकते हैं। यह नंबर केजीएमयू के फॉरेंसिक मेडिसिन ऐंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग की तरफ से चलाया जाता है। इस पर चौबीस घंटे विशेषज्ञ परामर्श दिया जाता है। प्रो़ शिउली के मुताबिक फोन पर मिलने वाली शिकायत के मुताबिक लोगों को सलाह दी जाती है।

यह भी पढ़ें:-प्रतापगढ़ में दोस्तों संग नदी में नहाते समय डूबने से प्रिंसिपल के बेटे की मौत

 

संबंधित समाचार