पति के संग शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता', बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- यह तलाक का आधार बनेगा

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Published By Deepak Mishra
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मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने पुणे के एक व्यक्ति को तलाक देने के पारिवारिक न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है और कहा है कि पत्नी द्वारा शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना, सार्वजनिक रूप से अपमानित करना और विवाहेत्तर संबंधों के आरोप क्रूरता के समान हैं। 

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीता गोखले की खंडपीठ ने पारिवारिक न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली पत्नी की अपील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि पत्नी का अपने पति के प्रति व्यवहार निर्विवाद रूप से क्रूर था और उसने विवाह विच्छेद को उचित ठहराया। 

दम्पति एक दशक से भी अधिक समय से अलग रह रहे थे। उनके बीच सुलह कराने के कई प्रयास जिनमें परामर्श, मध्यस्थता और अन्य पीठों द्वारा हस्तक्षेप शामिल हैं, असफल रहे। इन प्रयासों की असफलता और निरंतर कलह का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि पुनर्मिलन की कोई गुंजाइश नहीं है और पति की तलाक की याचिका को स्वीकार कर लिया।  

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