KGMU में 5 सेंटीमीटर के चीरे से घुटना प्रत्यारोपण, सालों के दर्द से 46 मिनट में महिला को मिली राहत
लखनऊ, अमृत विचार। 52 साल की महिला बीते दो सालों से घुटने के दर्द से परेशान थी। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने माइक्रोप्लास्टी तकनीक का इस्तेमाल कर महिला का घुटना (पार्शियल नी रिप्लेसमेंट) बदल दिया है। जिसमें डॉक्टरों को महज 46 मिनट का समय लगा है। इतना ही नहीं घुटना प्रत्यारोपण की इस प्रक्रिया में केवल पांच सेंटीमीटर का चीरा लगाया गया, जिसकी वजह से 24 घंटे के भीतर ही मरीज को छुट्टी भी दे दी गई। आयुष्मान योजना के तहत इलाज होने से मरीज को कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ा है।
दरअसल, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) स्थित हड्डी रोग विभाग ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विभाग के वरिष्ठ ऑथॉपेडिक सर्जन डॉ. शैलेंद्र सिंह ने पहली बार संस्थान में माइक्रोप्लास्टी तकनीक से पार्शियल नी रिप्लेसमेंट (Partial Knee Replacement) सर्जरी कर महिला मरीज को न सिर्फ दर्द से राहत दी है बल्कि महिला अब पूरी तरह से सामान्य जीवन भी व्यतीत कर सकती है। सबसे बड़ी बात महिला अब जमीन में घुटने मोड़ कर भी बैठ सकती है, जबकि दूसरे तकनीक से किये गये घुटना प्रत्यारोपण में मरीज घुटना मोड़ नहीं सकता है।
प्रो. (डॉ.) शैलेंद्र सिंह ने बताया कि यह तकनीक पारंपरिक पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण (Total Knee Replacement) के विकल्प के रूप में उभर रही है, लेकिन उन रोगियों के लिए यह वरदान है जिनके घुटने को एक सीमित भाग में नुकसान होता है।
माइक्रोप्लास्टी तकनीक क्या है?
प्रो. (डॉ.) शैलेंद्र सिंह ने बताया कि आधुनिक कंप्यूटर नेविगेशन व मिनिमल इनवेसिव सर्जरी (कम चीरा तकनीक) पर आधारित एक नई सर्जरी विधि है। इसमें सिर्फ घुटने के खराब हिस्से को हटाकर वहां कृत्रिम इम्प्लांट लगाया जाता है, जबकि बाकी संरचना को सुरक्षित रखा जाता है। उन्होंने कहा कि माइक्रोप्लास्टी तकनीक के जरिये मरीज के घुटने को पूरी तरह से बदलने के बजाय, केवल उस हिस्से को ठीक करते हैं जो खराब हुआ होता है। इससे मरीज की रिकवरी तेज होती है और यह जल्दी सामान्य जीवन में लौट सकता है। हम KGMU में इस तकनीक को और अधिक रोगियों के लिए सुलभ बनाना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यह तकनीक खिलाड़ियों के लिए काफी अहम साबित हो सकती है। इस तकनीक से घुटना प्रत्यारोपण होने से खेलने में भी कोई दिक्कत नहीं आयेगी।
पार्शियल नी रिप्लेसमेंट के प्रमुख लाभ
1. घुटने की प्राकृतिक संरचना और मूवमेंट को बचाया जाता है।
2. सर्जरी में कम कटाव और कम खून बहना।
3. रिकवरी तेज़ मरीज अक्सर 24-48 घंटे में चलने लगता है।
4. कम दर्द और कम दवाइयों की जरूरत।
5. लंबे समय तक चलने वाला समाधान - सही चयनित मरीज में 15+ साल तक इम्प्लांट टिक सकता है।
6. स्पोर्ट्स व सामान्य दिनचर्या में जल्दी वापसी।
KGMU का अगला कदम
माइक्रोप्लास्टी को ओस्टियोआर्थराइटिस के शुरुआती चरणों में प्राथमिक विकल्प के रूप में अपनाना।
युवा व सक्रिय जीवनशैली वाले मरीजों के लिए इसे व्यापक रूप से प्रचारित करना।
इस तकनीक पर शोध व प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित करना।
सर्जरी करने वाली टीम
प्रो. (डॉ.) शैलेंद्र सिंह, डॉ. विनीता सिंह,डॉ. मनोज चौरसिया,प्रोफेसर एनेस्थीसिया डॉ. रवींद्र मोहन, एसोसिएट प्रोफेसर ऑर्थो डॉ. दीपक, डॉ. अंकुर मान
