अत्याधुनिक तकनीक ने किया जटिल सर्जरी को आसान, 4 संस्थानों संग समझौता, शोध और मरीज देखभाल में आएगा नयापन

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Published By Anjali Singh
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पीजीआई, अमृत विचार : नैनोटेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोइंजीनियरिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीक से बायोमेडिकल क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इलाज की पद्धतियों, बीमारियों की पहचान और जटिल सर्जरी अब कहीं अधिक आसान और सटीक हो गई है। ये बात भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. आशुतोष शर्मा ने बुधवार को कही। डॉ. आशुतोष संजय गांधी पीजीआई के सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के 19वें स्थापना दिवस पर युवा वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से कहा कि पारंपरिक सीमाओं को तोड़ ऐसी शोध प्रवृत्तियां अपनाएं, जो समाज की वास्तविक जरूरतों को हल करें।

मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सीबीएमआर को प्रदेश का गर्व बताया। कहा कि यहां के वैज्ञानिक न्यूरोइमेजिंग, बायोमार्कर की पहचान और ट्रांसलेशनल मेडिसिन जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। उन्होंने संस्थान के बुनियादी ढांचे को और मजबूती देने के लिए आवश्यक वैज्ञानिक संसाधन उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया। सीबीएमआर के निदेशक प्रो आलोक धवन ने विगत वर्ष की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संस्थान में मस्तिष्क, हृदय, गुर्दा, लिवर और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों पर गहन शोध कार्य जारी हैं।

ये हुए सम्मानित

उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए संस्थान के डॉ नीरज सिन्हा, डॉ उत्तम कुमार, डॉ आशीष गुप्ता, डॉ भूपेन्द्र तिवारी, डॉ सैय्यद मसूद हसन और डॉ दिनेश कुमार को सम्मानित किया गया।

शोध के लिए चार संस्थानों से एमओयू

शोध की दिशा को और मजबूती देने के लिए सीबीएमआर ने लोहिया संस्थान, एम्स रायबरेली, एमिटी विश्वविद्यालय और केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (दिल्ली) के साथ सहयोग समझौते किए हैं। लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने बताया कि सीबीएमआर की अत्याधुनिक अनुसंधान क्षमताओं को उनके संस्थान की क्लीनिकल सेवाओं से जोड़ा जाएगा, जिससे रोगियों को अधिक लाभ मिलेगा।

अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ संजीव मिश्रा ने कहा कि सीबीएमआर द्वारा किए जा रहे नवाचार आने वाले वर्षों में न केवल शोध के क्षेत्र में बल्कि मरीजों की देखभाल में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे। वहीं समारोह में संस्थान के डीन डॉ नीरज सिन्हा ने आभार ज्ञापित किया। इस मौके पर लगभग 300 पीएचडी शोधार्थी एवं युवा फैकल्टी सदस्य उपस्थित रहे।

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