प्रयागराज : बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत लाभ के हकदार नहीं

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन कार्यरत प्रधानाध्यापक और सहायक शिक्षक ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972 के तहत "कर्मचारी" की परिभाषा में नहीं आते, अतः वे इस अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी लाभ पाने के हकदार नहीं हैं। यह निर्णय न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने  बिंद्रा प्रसाद पटेल की विशेष अपील को खारिज करते हुए पारित किया।

 याची बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन एक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत थे और 64 वर्ष की आयु में सेवा विस्तार के बाद 2017 में सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में ग्रेच्युटी लाभ की मांग करते हुए रिट याचिका दाखिल की थी, जो खारिज कर दी गई थी। इसके विरुद्ध उन्होंने विशेष अपील दाखिल की थी। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद की स्थापना उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अधिनियम, 1972 के तहत हुई थी और उसके अधीन कार्यरत शिक्षकों की सेवा शर्तें उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली, 1981 द्वारा नियंत्रित होती हैं। वर्ष 1978 के शासनादेश द्वारा परिषद के शिक्षकों के लिए ग्रेच्युटी की सुविधा समाप्त कर दी गई थी, हालांकि पारिवारिक पेंशन की सुविधा बाद में जोड़ी गई। 

कोर्ट ने इस बात पर बल दिया कि ग्रेच्युटी अधिनियम की धारा 2(ई) में “कर्मचारी” की परिभाषा में ऐसे व्यक्ति को शामिल नहीं किया गया है, जो राज्य सरकार के अधीन पद पर कार्यरत हो और किसी अन्य अधिनियम या नियम के अंतर्गत ग्रेच्युटी योजना से आच्छादित हो। चूंकि याचिकाकर्ता राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेशों के अधीन कार्यरत थे और उन्हीं के तहत ग्रेच्युटी से संबंधित नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं। अतः वह केंद्रीय ग्रेच्युटी अधिनियम के अंतर्गत लाभ पाने के पात्र नहीं माने जा सकते। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि वर्ष 1994 और 2004 के सरकारी आदेशों के अनुसार केवल उन्हीं शिक्षकों को ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाना था, जिन्होंने 58 या 60 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण होने पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना हो। याची ने ऐसा कोई विकल्प नहीं चुना था, बल्कि सेवा विस्तार लेकर 64 वर्ष तक कार्य किया था, इसलिए वे उन आदेशों के दायरे में भी नहीं आते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी आदेश राज्य सरकार की कार्यकारी शक्ति का हिस्सा होते हैं और यदि उनमें ग्रेच्युटी की व्यवस्था की गई है, तो वही व्यवस्था लागू मानी जाएगी, न कि केंद्रीय ग्रेच्युटी अधिनियम। इस निर्णय के साथ कोर्ट ने विशेष अपील को निरस्त करते हुए यह साफ कर दिया कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन कार्यरत शिक्षकों के लिए ग्रेच्युटी के लाभ संबंधित सरकारी आदेशों और राज्य की नीतियों के अधीन ही सीमित रहेंगे।

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