कानपुर कार्डियोलॉजी समिट 2025: हृदय स्वास्थ्य पर गंभीर विमर्श

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
On

डायबिटीज और तनावग्रस्त जीवनशैली में छिपा है साइलेंट हार्ट अटैक का ख़तरा

कानपुर, अमृत विचार : शहर में पहली बार आयोजित कानपुर कार्डियोलॉजी समिट 2025 में हृदय रोग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित लोग 20–25% अधिक साइलेंट हार्ट अटैक की चपेट में आते हैं। इस खतरनाक स्थिति में लक्षण गैस, भारीपन या थकान जैसे लगते हैं और मरीज़ समय रहते इलाज नहीं लेता।  इसके अलावा हाईपरटेंशन भी साइलेंट हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ाता है। नजर अंदाज करने पर हृदस रोगों और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है। ऐसे में इन समस्या से ग्रस्त मरीजों को काफी सचेत रहने और जीवनशैली में सुधार करने की काफी जरूरत है। यह जानकारी दिल्ली से आए कॉर्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ.संजय त्यागी ने दी। 

कैंट स्थित स्टेट्स क्लब एंड रिसॉर्ट में रविवार को कानपुर कार्डियोलॉजी समिट 2025 का आयोजन किया गया, जो हृदय रोग संस्थान, के-केयर हॉस्पिटल, कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया और यूपी चैप्टर से सहयोग हुआ। समिट में कानपुर शहर के सबसे वरिष्ठ व प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ और पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.एसएस सिंघल को उनकी सेवाओं के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। सम्मान पाकर डॉ.एसएस सिंघल गदगद हो गए, मौजूद शिष्यों व डॉक्टरों को निरंतर मेहनत व लगन से अपना कार्य करने के लिए प्रेरित किया। कहा कि हम काफी खुशनसीब है कि ईश्वर ने हमे लोगों की जान बचाने का मौका दिया है।
 
कार्डियोलॉजी संस्थान के निदेशक डॉ.राकेश वर्मा ने संस्थान की उपलब्धियों की जानकारी दी। बताया कि 1977 में शुरु हुए एलपीएस कॉर्डियोलॉजी संस्थान में पहले एक कमरे में ओपीडी का संचालन किया जाता था, लेकिन अब कॉर्डियोलॉजी का विस्तार हो रहा है। संस्थान के परिसर में प्राइवेट वार्ड और आईसीयू की बिल्डिंग तैयार की जा रही हैं। हाइटेक ऑपरेशन थिएटर का निर्माण होगा, जिसका लाभ हृदय रोगियों को मिलेगा। विभागाध्यक्ष डॉ.उमेश्वर पांडेय ने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य डॉक्टरों के बीच जागरूकता बढ़ाना और आपसी जानकारी साझा करना है। ताकि अस्पताल में आने वाले मरीजों की जान बचाना और आसान हो। वहीं, डॉ.आशुतोष मारवा व जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ.शैलेंद्र कुमार गौतम ने बताया कि एक से दो फीसदी बच्चों में हृदय संबंधित समस्या होती है। समिट में डॉ.एसके सिन्हा, डॉ.अवधेश कुमार शर्मा, डॉ.अमित कुमार, डॉ.एमएम रजी, डॉ.रितेश सिंह गंगवार, डॉ.राजीव कुमार गुप्ता, डॉ.नीरज वरयानी, डॉ.मोहित सचान, डॉ.प्रवीण शुक्ला, डॉ.मुकेश झा, डॉ.श्रीपत, डॉ. कुणाल सहाय, डॉ.अनुराग मेहरोत्रा, डॉ.राकेश सचान, डॉ.अनूपम सचान समेत आदि डॉक्टर शामिल रहे। 
 
सीने में हल्का भारीपन व गैस पर ध्यान देना जरूरी  : कॉर्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ.संजय त्यागी ने बताया कि हाई ब्लड प्रेशर वर्तमान में मौत की मुख्य वजह में शामिल है। मौत में हार्ट अटैक बड़ा कारण है। बचाव के लिए समय पर बीमारी की डायग्नोस काफी जरूरी है। सीने में हल्का भारीपन, छाती में दबाव पड़ना, गैस की समस्या व पसीना आने पर व्यक्ति को सचेत हो जाना चाहिए। ऐसे में तत्काल ईसीजी कराना चाहिए। वहीं, समोसा दिल और दिमाग दोनों को नुकसान पहुंचाने का काम करता है। बार-बार एक ही तेल में तले जाने वाली चीजे खाने से भी दिल को नुकसान पहुंचता है। फास्ट फूड नसो में ब्लाकेज पैदा करने में सहायक होते है। वहीं, माता-पिता को अगर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या और वजन ज्यादा है तो समय बच्चों को भी हो सकती है। बचाव के लिए मिलेट्स का उपयोग करना चाहिए, योग व व्यायाम करे और खानपान का दुरस्त जरूर रखे। 
 
नींद कम लेने और पैदल न चलने से बढ़ रहे हृदय रोगी  : लखनऊ, केजीएमयू में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.गौरव चौधरी ने बताया कि भागदौड़ और तनावयुक्त जीवनशैली की वजह से लोगों की नींद कम हो गई है। आधुनिक जीवनशैली के कारण लोग पैदल भी कम चल रहे हैं, जिसके कारण हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है। नींद कम लेने वाले लोगों में चिड़चिड़पना और गुस्सा तो बढ़ता ही है, इसके अलावा दिल को काम करने में अधिक मेहनत भी करनी पड़ती है। वहीं, खून का थक्का जमने की वजह से ब्लड सप्लाई में रूकावट हो सकती है। जिम में एक्सरसाइज के दौरान कार्डियो करने या वेस्ट लिफटिंग के दौरान, जो लोग थकान होने के बाद भी जिम या काम करते है, थोड़ी देर आराम नहीं करते, उनमे भी हार्ट अटैक की संभावना काफी बढ़ जाती है। बचाव के लिए कम से कम सात से आठ घंटे की नींद और आठ हजार से दस हजार कदम प्रतिदिन चलना जरूरी है, जिससे दिल स्वस्थ रहता है।
 



संबंधित समाचार