पति-पत्नी की एक साथ उठी अर्थी : ईंट से सिर कुचलकर पत्नी की हत्या करने के बाद पति ने की आत्महत्या
गांव के बाहर पति रवि ने बाग में फंदा लगाकर की खुदकुशी
लखनऊ, अमृत विचार : पारिवारिक कलह के चलते एक ही घर से उठी दो अर्थियों ने अपने छोटे-छोटे बच्चों को बेसहारा कर दिया। रविवार को माल थाना अंतर्गत पकरा बाजार गांव से एक दिलदहला देने वाली वारदात सामने आई, जहां घरेलू विवाद में रवि (27) ने पत्नी सीमा (25) की ईंट से सिर कुचलकर हत्या कर दी थी। खून से लथपथ पड़ी सीमा की लाश के पास रोते हुए उनके मासूम बच्चों की चीखें सुन गांव के लोगों की रूह कांप गई।
पत्नी की हत्या करने के बाद रवि ने अकबरपुर गांव के बाहर आम के पेड़ पर शर्ट से फंदा लगाकर आत्मघाती कदम उठा लिया। सुबह छह बजे ग्रामीण नित्यक्रिया के लिए बाग में पहुंचे तब उसकी नजर पेड़ से लटकती रवि की लाश पर पड़ी। सूचना फैलते ही पूरे गांव में हड़कंप मच गया। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने शव को नीचे उतरवाकर पोस्टमार्टम के लिए भेजवा दिया।
प्रभारी निरीक्षक नवाब अहमद के मुताबिक, रविवार को पकरा बाजार गांव निवासी मजदूर रवि ने पत्नी सीमा की ईंट से सिर कुचलकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद रवि मौके से भाग निकला था। हालांकि, पुलिस हत्यारोपी की तलाश में उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही थी कि इस बीच पुलिस कंट्रोल रूम पर हत्यारोपी का शव मिलने की सूचना मिली। मौके पर पहुंची पुलिस ने परिजनों के जानकारी देते हुए शव को नीचे उतार मौके पर मौजूद लोगों से पूछताछ की। जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि मृतक के पास किसी भी प्रकार का सुसाइड नोट नहीं मिला है। फिलहाल, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट होगा। प्रथम दृष्टया मामला घरेलू कलह का लग रहा है, जिसकी हर पहलू से जांच जारी है।
ग्रामीणों में शोक, पूरे गांव में पसरा सन्नाटा : इस घटना ने न सिर्फ एक दंपती की जान ले ली, बल्कि उनके छोटे-छोटे बच्चों को अनाथ कर दिया। अब वे न मां की ममता पाएंगे, न पिता का सहारा। गांव के बुजुर्गों की आंखें भी नम थीं, जब उन्होंने कहा-"ऐसी लड़ाई में कोई जीतता नहीं, सब हार जाते हैं।" एक साथ उठी अर्थियों ने गांव को शोक में डुबो दिया। सीमा और रवि की अंतिम यात्रा में पूरे गांव की भीड़ उमड़ पड़ी। कोई यह समझ नहीं पा रहा कि एक मामूली विवाद ने कैसे दो जिंदगियों को एक झटके में खत्म कर दिया। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या घरेलू विवादों को समय रहते सुलझाने के लिए हमारे पास कोई सामाजिक ढांचा है?
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