Gorakhpur : स्टेट वॉलीबाल खिलाड़ी की आत्महत्या, इंस्टा पर लगाता था Sad story, मोबाइल गेम और गानों की थी लत

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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गोरखपुर में बहन के साथ किराए पर रह रहे 12वीं के छात्र आदर्श सिंह ने लगाया फंदा, मानसिक तनाव की आशंका

गोरखपुर, अमृत विचार : कुशीनगर के रहने वाले 18 वर्षीय आदर्श सिंह की जिंदगी अचानक थम गई। गोरखपुर के शिवपुर सहबाजगंज में बहन के साथ किराए पर रहकर पढ़ाई कर रहे आदर्श ने सोमवार सुबह आत्महत्या कर ली। वह वॉलीबाल का स्टेट लेवल खिलाड़ी था और एमपी इंटर कॉलेज में 12वीं का छात्र था। आदर्श का शव कमरे में पंखे के कुंडे से चादर के सहारे लटका मिला। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और उसके मोबाइल को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।

इंस्टाग्राम पर बयां कर रहा था दर्द, पर किसी ने नहीं समझा :  पुलिस और दोस्तों के मुताबिक आदर्श पिछले कुछ समय से बेहद चुप-चुप रहता था। वह अक्सर इंस्टाग्राम पर सैड स्टोरी और दर्दभरे गाने पोस्ट करता था। फिल्म सैयारा के गानों को लगातार सुनना, उदास स्टेट्स लगाना-ये सब उसके भीतर चल रही उलझनों की ओर इशारा कर रहे थे।

रविवार रात तक गेम खेलता रहा, सुबह फंदे से लटका मिला : उसकी बहन निधि ने बताया कि रविवार रात दोनों ने साथ में खाना खाया। बाद में आदर्श मोबाइल गेम खेलने लगा। रात 11 बजे के करीब उसे सोने की सलाह देकर निधि अपने कमरे में चली गई। सुबह जब वह आदर्श को जगाने गई, तो दरवाजा खोलते ही उसकी दुनिया उजड़ गई। आदर्श अब इस दुनिया में नहीं था।

 प्रतिभावान खिलाड़ी, लेकिन भीतर से टूट चुका था : आदर्श स्टेट लेवल पर वॉलीबाल खेल चुका था। वह रीजनल स्पोर्ट्स स्टेडियम में नियमित प्रैक्टिस करता था और अपने दोस्तों के बीच एक मेहनती खिलाड़ी के रूप में जाना जाता था। उसके साथ खेलने वाले लड़कों ने बताया कि पिछले एक महीने से वह चुपचाप रहने लगा था। पूछने पर भी कुछ नहीं बताता था।

मोबाइल गेम की लत और मानसिक दबाव की जांच में जुटी पुलिस : पुलिस को संदेह है कि आदर्श मोबाइल गेमिंग की लत और भावनात्मक अवसाद से जूझ रहा था। उसका मोबाइल जब्त कर लिया गया है और उसकी सोशल मीडिया एक्टिविटी की भी जांच की जा रही है। एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला है, लेकिन हर पहलू की जांच की जा रही है।

 "आत्महत्या एक संकेत छोड़ती है, पहचानना जरूरी है" : डॉ. रश्मि रानी, सहायक आचार्य, मनोविज्ञान विभाग, डीडीयू विश्वविद्यालय ने बताया कि आत्महत्या कभी अचानक नहीं होती। यह एक मानसिक प्रक्रिया का परिणाम है, जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे खुद को अकेला, असहाय और मूल्यहीन मानने लगता है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते व्यक्ति के बदलते व्यवहार को समझ लिया जाए तो कई ज़िंदगियों को बचाया जा सकता है। बच्चों और युवाओं को अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने का वातावरण देना बेहद ज़रूरी है।

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