विश्वस्तर पर सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनेगा पुनर्वास विश्वविद्यालय, दिव्यागों के लिए दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संस्थान बनाने की हो रही पहल

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Published By Muskan Dixit
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करीब 5 हजार कृत्रिम अंग दिव्यांगों को निशुल्क दिया जा चुका है

लखनऊ, अमृत विचार : डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय दिव्यांगों के लिए प्रदेश और देश का ही नहीं इसे विश्व स्तरीय संस्थान विकसित करने की योजना है। दिव्यांगों के लिए विश्वस्तर पर सर्वश्रेष्ठ सेंटर फार एक्सीलेंस बनाए जाने की योजना है। कुलपति आचार्य संजय सिंह ने एक साक्षात्कार में बताया कि विश्वविद्यालय दिव्यांगों के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। विश्वविद्यालय आने वाले दिनों में दुनिया भर के दिव्यागों के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनेगा।

कुलपति आचार्य संजय सिंह ने बातचीत में बताया कि दिव्यांगों के भौतिक पुनर्वासन एवं दिव्यांगजनों को निशुल्क अंग प्रदान किए जाने हेतु विश्वविद्यालय में 'कृत्रिम अंग एवं पुनर्वास केन्द्र' स्थापित है। इस केंद्र द्वारा पंजीकरण और निशुल्क परामर्श सेवा के माध्यम से अब तक 7021 दिव्यांग लाभान्वित हो चुके है। साथ ही अबतक इस केंद्र द्वारा 4892 दिव्यांगों को निःशुल्क कृत्रिम अंग एवं उपकरण प्रदान किये गये हैं। इस दिशा में दो नवीन ईकाई जिसमें आधुनिक माड्यूलर कृत्रिम अंग और आधुनिक विपाटन (स्पिल्टिंग) तकनीक की सुविधा दिव्यांगजनों हेतु प्रारम्भ की गई है।

थ्रीडी प्रिटिंग तकनीक से बनते हैं कृत्रिम अंग

विश्वविद्यालय का कृत्रिम अंग निर्माण कार्यशाला 3डी प्रिन्टिंग तकनीक का प्रयोग करता है। दिव्यांगजनों को बेहतर सुविधा प्रदान करते हुए दिव्यांगता के क्षेत्र में उन्नत अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय ने पहल कर रहा है।

1149 श्रवण बाधितों का हुआ इलाज

विश्वविद्यालय में स्थापित डेफ कॉलेज द्वारा श्रवण बाधितों, ऑटिस्टिक बच्चों, सेरिब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चे एवं विभिन्न वाणी बाधित के मरीजों हेतु नैदानिक सेवायें भी प्रदान की जा रही है। अब तक कुल 1149 श्रवण बाधितों का इलाज हो चुका है। प्रति माह लगभग 450-600 बच्चों की स्पीच लैंग्वेज थेरेपी संचालित होती है।

-मैं अपनी आंखे बंद कर उनके लिए चला, मैंने टेलीविजन की आवाज बंद कर के मूक दृश्यों को समझने की चेष्टा की। तब मैं समझ पाया की इनको कितने दर्द से गुजरना पड़ता है। यह विश्वविद्यालय स्पेशल लोगों के लिए कार्य कर रहा है, इसके लिए इसके शिक्षकों और समूचे विश्वविद्यालय को स्पेशल स्टेटस मिलना चाहिए।

आचार्य संजय सिंह, कुलपति, डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय

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