मौत के मुहाने से खींचकर लौटा दी जिंदगी : GSVM मेडिकल कॉलेज में किया गया दुर्लभ कैंसर का सफल ऑपरेशन

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Published By Anjali Singh
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‘मेडिकल लाइफ में यूं तो तमाम जटिल ऑपरेशन किए हैं, लेकिन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में किया गया दुर्लभ कैंसर का सफल ऑपरेशन जल्दी भुलाया नहीं जा सकता है। यह कुछ अलग ही तरह का मामला था। मेडिकल कॉलेज का प्राचार्य होने के नाते काम काफी चुनौती पूर्ण था। इसके चलते सर्जरी से पहले वरिष्ठ चिकित्सकों से ऑनलाइन सलाह भी लेनी पड़ी। इसके बाद मरीज के हर अंग, नसों व टिश्यू को ध्यान में रखते हुए दुर्लभ कैंसर की कमांडो सर्जरी की। इसी के साथ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने नया इतिहास रच दिया। इस सफल ऑपरेशन ने यह तथ्य मजबूत कर दिया कि भारतीय डॉक्टर हर चुनौती और जटिल ऑपरेशन को कामयाब बनाने में सक्षम हैं।’

मामला यह था कि फर्रुखाबाद निवासी 65 वर्षीय बुजुर्ग (मिठाई दुकानदार) ने मुंह में गांठ होने पर एक निजी अस्पताल में इलाज कराया, जहां ऑपरेशन करके उसकी गांठ हटा दी गई। लेकिन एक माह बाद फिर से उसके मुंह में गांठ पनप गई। इस पर उन्होंने कानपुर के उर्सला अस्पताल में इलाज कराया। यहां बायोप्सी जांच होने पर गांठ में कैंसर के लक्षण मिले। उर्सला में डॉक्टरों ने सर्जरी करके मुंह से गांठ निकाल दी। इससे बुजुर्ग को कुछ दिन के लिए आराम मिला, लेकिन जल्दी ही उनके मुंह में गांठ फिर से उभर आई। 

cercoma cancer (1)

इस बार किसी ने हैलट अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी। पीड़ित बुजुर्ग मरीज यहां आए। उनकी केस हिस्ट्री मेरे पास आई। कई आवश्यक जांचें कराकर इलाज शुरू किया। बायोप्सी में गाल व जबड़े में कैंसर का फैलाव मिला। बुजुर्ग का मुंह भी काफी कम खुल रहा था। जांच रिपोर्ट के अध्ययन से पता चला कि मरीज फाइब्रोमेक्सॉइड सार्कोमा नामक कैंसर से पीड़ित है। यह कैंसर गिने चुने लोगों को ही होता है। ऐसे में मरीज और उनके परिवारीजनों को रोग की जानकारी देकर सर्जरी की अनुमति ली। डॉ. आशीष, डॉ. पारुल, प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रेम शंकर व एनास्थिसिया की डॉ. यामिनी को साथ लेकर मर्ज का निदान करने के लिए ऑपरेशन की योजना बनाई। पांच घंटे समय लगा और सर्जरी सफल रही। 

काटना पड़ा मुंह के नीचे का हिस्सा

इस केस में पीड़ित की कमांडो सर्जरी की गई। कैंसर की वजह से बुजुर्ग के दांत सड़कर निकल चुके थे। कैंसर मुंह के पूरे हिस्से को प्रभावित न कर सके, इसलिए ऑपरेशन में मुंह के नीचे का हिस्सा काटना पड़ा। इसके बाद छाती का मांस प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से वहां लगाया गया। दुर्लभ ट्यूमर (फाइब्रोमेक्सॉइड सार्कोमा)  ठीक प्रकार से न निकाला जाए तो फिर से पनप जाता है। इसलिए गांठ के साथ जबड़ा भी निकालना पड़ा। डॉ. प्रेम शंकर ने प्लास्टिक सर्जरी करके मरीज का नया जबड़ा बनाया।  आपरेशन को तीन वर्ष हो चुके हैं और मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।

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