कानपुर: व्हीलचेयर से मुस्कुराई जिंदगी, हौंसले को मिली उड़ान, अब छात्रा की शिक्षा में कोई नहीं रोड़ा

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Published By Deepak Mishra
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दिव्यांगता के चलते निजी विश्वविद्यालय ने प्रवेश देने से किया था मना

कानपुर, अमृत विचार। दिव्यांगता को बाधा मानने वाली सोच उस समय झुक गई, जब जिलाधिकारी की सक्रियता और हस्तक्षेप ने एक होनहार छात्रा को उसका शिक्षा का हक दिलाया। हुआ ये कि निजी विश्वविद्यालय द्वारा व्हीलचेयर पर आने की वजह से एलएलएम में छात्रा को प्रवेश नहीं देने का मामला जनता दर्शन में सामने आया, तो जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने तत्काल कार्रवाई कराते हुए व्यवस्था को संवेदनशीलता के साथ जवाबदेह बना दिया।

रामबाग निवासी श्रेया शुक्ला ने डीसी लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की है। वह अब एलएलएम करना चाहती थीं। एक निजी विश्वविद्यालय ने पहले उन्हें प्रवेश का भरोसा दिया, पीडब्ल्यूडी श्रेणी में फीस में छूट दी और आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने की बात भी कही लेकिन जब श्रेया 29 जुलाई को दाखिला के लिए पहुंचीं, तो यह कहकर मना कर दिया गया कि हम व्हीलचेयर पर आने वाले छात्रों का प्रवेश नहीं लेते।

पीड़ित छात्रा के पिता एलके शुक्ल एडवोकेट 30 जुलाई को जनता दर्शन में जिलाधिकारी से मिले और प्रकरण की जानकारी दी। उन्होंने यूजीसी के दिशा-निर्देश, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, और उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का हवाला देते हुए बेटी के साथ हुए भेदभाव की शिकायत की। जिलाधिकारी ने एसडीएम सदर अनुभव सिंह को निर्देशित किया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन से बात कर छात्रा को उसका विधिक अधिकार दिलाया जाए।

एसडीएम सदर ने उसी दिन विश्वविद्यालय से वार्ता कर नियमों की जानकारी दी और स्पष्ट निर्देश दिया कि दिव्यांग छात्रों को शिक्षा से वंचित करना न केवल अनुचित, बल्कि कानून के खिलाफ है। एक अगस्त को विश्वविद्यालय ने इंट्रेंस टेस्ट आयोजित किया जिसे श्रेया ने अच्छे अंकों के साथ पास किया। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने श्रेया को प्रवेश दिया।

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