कानपुर: मालदा एक्सप्रेस ट्रेन में फटी बच्चेदानी की थैली, GSVM में बची मां व जुड़वा बच्चों की जान

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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मालदा एक्सप्रेस से बिहार से दिल्ली जा रही थी बेटी के आंख का इलाज कराने गर्भवती

कानपुर, अमृत विचार। मालदा एक्सप्रेस में सवार होकर बिहार से दिल्ली जा रही आठ माह की गर्भवती की अचानक से बच्चेदानी की थैली फट गई और नाल बाहर की ओर आ गई, जिसकी वजह से उसे असाहनीय पीड़ा होने पर स्टेशन से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति विभाग एंबुलेंस से भेजा गया, जहां पर डॉक्टरों की टीम ने महिला का तत्काल ऑपरेशन कर जुड़वा बच्चों का जन्म कराया। ऑपरेशन के बाद मां व बच्चें स्वस्थ है।

बिहार के खगड़िया निवासी जिनैन कुमार की तीन वर्षीय बेटी के आंख में ट्यूमर की समस्या हो गई थी, जिसके कारण वह बेटी को लेकर बीते सप्ताह दिल्ली मालदा एक्सप्रेस से जा रहे थे। साथ में गर्भवती पत्नी मधुमिता और एक सात साल की बेटी भी थी। यात्रा के दौरान गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने पर उसे स्टेशन पर उतारा गया, उसके बाद एंबुलेंस से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अपर इंडिया जच्चा-बच्चा अस्पताल भेजा।

महिला दोपहर में करीब 11 बजकर 55 मिनट पर अस्पताल पहुंची, जहां डॉ. नीना गुप्ता ने महिला की जांच की। वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ.नीना गुप्ता के मुताबिक जांच में पता चला कि वह जुड़वां गर्भधारण (ट्विन प्रेग्नेंसी) में हैं  और नाल (कॉर्ड प्रोलैप्स)बाहर आ गई है और बच्चेदानी की थैली फटी है।

ऐसे में बिना समय गवाएं गर्भवती को तत्काल ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया, जहां पर उसके ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू की और बच्चे जुड़वा होने की वजह से महिला में खून की कमी थी, इसलिए ब्लड बैंक प्रभारी डॉ.लुबना खान से वार्ता की गई। यह ऑपरेशन करीब आधे घंटे तक चला और जुड़वां बच्चों का सुरक्षित जन्म कराया गया। डॉ.नीना के साथ ऑपरेशन में डॉ.नूर, डॉ. सुगंधा समेत टीम रहे। डॉक्टरों के मुताबिक ऑपरेशन के बाद मां और दोनों बच्चे स्वस्थ हैं।  

ऐसे केस में 42 फीसदी बच्चों की मौत होने की रहती है संभावना 

डॉ.नीना गुप्ता ने बताया कि यह एक स्त्री रोग संबंधी आपातकाल स्थिति होती है, ऐसी स्थिति में मरीज का ऑपरेशन कर तुरंत बच्चों को निकालना अति आवश्यक होता है। ऐसी परिस्थिति में 37 से 42 फीसदी केस में बच्चों की मृत्यु होने की संभावना होती है और मां के लिए भी जोखिम बढ़ता जाता है। लापरवाही और देरी मां व बच्चे के लिए काफी खतरनाक होती है। यह केस जीएसवीएम अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की तत्परता व टीमवर्क का उदाहरण है।

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