खिलाड़ियों की आयु में धोखाधड़ी रोकने के लिए BCCI ने उठाया सख्त कदम, अब नहीं छिपा पाएंगे अपनी age

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Published By Muskan Dixit
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मुंबई। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) खिलाड़ियों की उम्र और योग्यता की जांच के लिए एक बाहरी एजेंसी को नियुक्त करने की योजना बना रहा है। इसके लिए बोर्ड ने हाल ही में एक निविदा पत्र (आरएफपी) जारी किया है, जिसमें विश्वसनीय संगठनों से सत्यापन सेवाएं प्रदान करने के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इस एजेंसी के अगस्त के अंत तक काम शुरू करने की संभावना है। माना जा रहा है कि यह कदम खिलाड़ियों द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों या प्रमाणपत्रों में संदेह के मामलों को संबोधित करने के लिए उठाया गया है। बीसीसीआई का लक्ष्य इस प्रक्रिया को और अधिक पेशेवर बनाना तथा अधिक उम्र के खिलाड़ियों के सिस्टम में प्रवेश को पूरी तरह रोकना है। 

बीसीसीआई दो चरणों वाली आयु सत्यापन प्रणाली का उपयोग करता है। पहले चरण में दस्तावेजों और जन्म प्रमाणपत्रों की जांच की जाती है, जबकि दूसरे चरण में हड्डी परीक्षण किया जाता है, जिसे सामान्यतः टीडब्ल्यू3 (टैनर-व्हाइटहाउस 3) विधि के नाम से जाना जाता है। यह सत्यापन प्रक्रिया लड़कों के लिए अंडर-16 और लड़कियों के लिए अंडर-15 स्तर पर लागू होती है। 

बीसीसीआई ने बोली लगाने वाली एजेंसियों के लिए आवश्यक शर्तें निर्धारित की हैं। हालिया अधिसूचना के अनुसार, आवेदक एजेंसी को कम से कम तीन साल का पृष्ठभूमि सत्यापन का अनुभव होना चाहिए, जिसमें कॉरपोरेट कंपनियों, शैक्षणिक बोर्डों, या भर्ती संगठनों के लिए काम शामिल हो। इसके अतिरिक्त, एजेंसी के पास देशभर में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भौतिक और डिजिटल सत्यापन की क्षमता होनी चाहिए। 

गौरतलब है कि बीसीसीआई हर साल जुलाई-अगस्त में आयु सत्यापन की प्रक्रिया आयोजित करता है। इस बार यह प्रक्रिया सितंबर तक बढ़ सकती है, क्योंकि नई एजेंसी के इस महीने के अंत तक काम शुरू करने की उम्मीद है। यह सत्यापन राज्य स्तर पर किया जाता है, जिसमें प्रत्येक राज्य से बालक और बालिका वर्ग के 40-50 खिलाड़ियों को इस जांच प्रक्रिया से गुजरना होता है।

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