महिला या पुरूष में भेदभाव नहीं... सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, सेना में JAG भर्ती में लैंगिक भेदभाव खत्म
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना की जज एडवोकेट जनरल (JAG) शाखा में भर्ती के लिए पुरुषों और महिलाओं के बीच 2:1 के अनुपात में लागू आरक्षण नीति को रद्द कर दिया है। इस नीति को समानता के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करने का निर्देश दिया है। यह फैसला लैंगिक तटस्थता को बढ़ावा देने और भर्ती प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
लैंगिक आरक्षण को बताया मनमाना
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि पुरुषों के लिए अधिक रिक्तियां आरक्षित करना और महिलाओं के लिए सीटें सीमित करना मनमाना और असंवैधानिक है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कार्यपालिका किसी भी लिंग के लिए रिक्तियों को विशेष रूप से आरक्षित नहीं कर सकती। पुरुषों के लिए छह और महिलाओं के लिए तीन सीटों का निर्धारण भेदभावपूर्ण है और इसे भर्ती प्रक्रिया में लागू नहीं किया जा सकता।
केंद्र को योग्यता आधारित भर्ती का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि JAG शाखा में भर्ती के लिए एक संयुक्त मेरिट सूची तैयार की जाए, जिसमें पुरुष और महिला दोनों उम्मीदवारों को शामिल किया जाए। कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। यदि सभी योग्य उम्मीदवार महिलाएं हैं, तो उनकी नियुक्ति की जानी चाहिए, और यही नियम पुरुषों पर भी लागू होगा।
समानता के अधिकार का सम्मान
इस फैसले के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना की उस नीति को रद्द कर दिया, जिसमें JAG पदों पर महिलाओं की संख्या को सीमित किया गया था। कोर्ट ने इसे संविधान में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन माना। याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2023 के नियमों का सही अर्थ यह है कि चयन प्रक्रिया में केवल योग्यता को आधार बनाया जाए, न कि लिंग को।
निष्पक्ष भर्ती की दिशा में कदम
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सेना में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाला है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय सेना को निर्देश दिया कि भविष्य में भर्ती प्रक्रिया में लैंगिक तटस्थता को प्राथमिकता दी जाए। यह फैसला न केवल JAG शाखा में, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी निष्पक्ष और समावेशी भर्ती नीतियों को प्रोत्साहित करेगा।
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