कानपुर : निर्यात रुका, छोटे उद्योग का कारोबार घटा
कानपुर, अमृत विचार। शहर में निर्यात कारोबार पर टैरिफ का असर पड़ने से एमएसएमई सेक्टर भी प्रभावित होना शुरू हो गया है। इसकी वजह शहर के छोटे उद्योगों के पास निर्यातकों के ऑर्डर आने में कमी को माना जा रहा है। सबसे ज्यादा असर कैमिकल, गारमेंट्स एसेसरीज व पैकेजिंग सेक्टर में पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने शहर छोटे उद्योग का लगभग 8 सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित होने का अंदेशा जताया है।
अमेरिका की ओर से टैरिफ के ऐलान के बाद शहर के निर्यातकों का कारोबार प्रभावित हुआ है। इस असर से निर्यात उत्पादन की सबसे छोटी इकाई भी नहीं बच सकी है। विदेशी ऑर्डर के बाद उसके उत्पादन में सहयोग करने वाली शहर की इन इकाइयों में भी ऑर्डर की कमी हुई है। सबसे ज्यादा ऐसी युनिट प्रभावित हुई है जो लेदर सेक्टर से सीधेतौर पर जुड़ी हुई है। कमोबेश यही हाल पैकेजिंग सेक्टर की युनिट का भी है। निर्यातकों के ऑर्डर प्रभावित होने से इन युनिट के ऑर्डर में रोक लग गई है। माना जा रहा है कि शहर में लगभग 8 सौ युनिट ऐसी है जो अमेरिका के बाजार से प्रभावित हुए निर्यातकों से जुड़ी है। ऐसे में बाजार प्रभावित होने से इन युनिट पर पड़ने वाला प्रभाव लगभग लगभग तीन महीने तक रह सकता है। पूरे मामले पर मर्चेंट्स चेंबर ऑफ उत्तर प्रदेश के इंडस्ट्री कमेटी के चेयरमैन सुशील शर्मा ने बताया कि निर्यात कारोबार से शहर की एमएसएमई सेक्टर सीधेतौर पर जुड़ा है। शहर में लगभग 5 फीसदी एमएसएमई सेक्टर बड़े और लगातार मिलने वाले ऑर्डर के लिए शहर के निर्यातकों पर निर्भर है। ऐसी स्थिति में ऐसे निर्यातक जो अमेरिका के साथ सीधे कारोबार से जुड़े है वे अपने उत्पाद के ज्यादातर हिस्से इन्हीं युनिट से बनवाते हैं। इस तरह से निर्यातकों के प्रभावित होने का असर इन युनिट पर पड़ना स्वाभाविक है। शहर का उद्योग जगत यह मान रहे हैं कि निर्यात प्रभावित होने का यह असर फिलहाल 3 महीने तक शहर के सभी सेक्टर पर पड़ सकता है।
10 फीसदी हिस्सेदारी
शहर में निर्यातकों पर निर्भर यह छोटी युनिट निर्यात कारोबार पर लगभग 10 फीसदी हिस्सेदारी रखती है। निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के लिए यह युनिट छोटी-छोटी सामग्रियां सप्लाई करती है। यदि सिर्फ लेदर सेक्टर की बात की जाए तो प्योर लेदर की युनिट उनमें फीते, रसायन, पैताबे, धागे, पॉलिश व शोल सहित अन्य सामग्रियां निर्यातकों को भेजती है। इस तरह से तमाम उत्पादों से जुड़ी छोटी युनिट मंदी की जद में पहुंच चुकी है।
पैकेजिंग युनिट पर मार
निर्यातकों के उत्पादों की पैकेजिंग से जुड़ी युनिट को सबसे अधिक प्रभावित माना जा रहा है। विशेषज्ञों ने बताया कि निर्यात उत्पाद चाहे जो भी हो उसमें सबसे अधिक पैकेजिंग पर जोर होता है। इस तरह स्टीकर, टैग, पैकेट, बॉक्स सहित अन्य पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों की युनिट के पास लगातार ऑर्डर होल्ड होने की स्थिति में खड़े हो गए हैं।
90 हजार एमएसएमई युनिट शहर में है मौजूद
10 फीसदी युनिट निर्यात कारोबार से सीधी जुड़ी
3 महीने तक इन युनिट का कार्य हो सकता प्रभावित
8 सौ युनिट शहर में सिर्फ लेदर सेक्टर से सीधी जुड़ी
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