वोट चोरी विवाद में गरमाई कन्नौज की सियासत, अखिलेश बोले-अब ये तो गए

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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कन्नौज, अमृत विचार : कन्नौज की सियासत इन दिनों वोट चोरी के मुद्दे को लेकर गरमा गई है। सदर सीट से विधायक एवं समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद अखिलेश यादव आमने-सामने हैं। सोमवार को असीम अरुण ने एक वीडियो संदेश जारी कर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कन्नौज में एक-एक व्यक्ति ने दो-दो, तीन-तीन जगह वोट बनवा रखे हैं। उनके पास इसके पूरे प्रमाण मौजूद हैं और वह जिला निर्वाचन अधिकारी को साक्ष्य सौंपेंगे।

असीम अरुण ने उदाहरण के तौर पर कन्नौज सदर से पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव का नाम लिया। उन्होंने कहा कि नवाब सिंह को सपा शासन में मिनी मुख्यमंत्री और अखिलेश यादव का दाहिना हाथ कहा जाता था। 2024 के लोकसभा चुनाव में वह राहुल गांधी और अखिलेश यादव के साथ मंच पर मौजूद था। मगर उसके नाम मतदाता सूची में दो जगह दर्ज हैं। अड़ंगापुर गांव के बूथ संख्या 233 और शहर के बूथ संख्या 299 ग्वाल मैदान पर उसका नाम दर्ज है। यही नहीं, उसके भाई वीरपाल उर्फ नीलू यादव और कल्याण सिंह के नाम भी कई जगह वोटर लिस्ट में दर्ज हैं।

मंत्री ने आरोप लगाया कि नवाब सिंह वही व्यक्ति है जिसे 12 अगस्त 2024 को किशोरी से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उन्होंने कहा कि इस मामले में वह साक्ष्य सहित शिकायत करेंगे और अपेक्षा है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष कार्रवाई करेगा। साथ ही समाजवादी पार्टी को भी इस मुद्दे पर जनता से माफी मांगनी चाहिए। इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई। एक ओर भाजपा खेमे ने असीम अरुण के समर्थन में मोर्चा संभाला तो दूसरी ओर सपा ने पलटवार किया।

अखिलेश का पलटवार : सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा– “देखना है कि अपनी ही सरकार के कार्यकाल में धांधली का आरोप लगाने वालों को दिल्ली वाले हटाते हैं या लखनऊ वाले। दो इंजन के बीच में... वाली कहावत में इनका पत्ता साफ होगा। अब ये हटे नहीं तो घट तो जाएंगे ही। कभी-कभी ज्यादा होशियारी भारी पड़ जाती है।” अखिलेश के इस बयान ने मामले को और राजनीतिक रंग दे दिया है। अब यह टकराव सिर्फ वोट चोरी तक सीमित न रहकर भाजपा और सपा के बीच राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

सियासी गलियारों में चर्चा : कन्नौज की गलियों से लेकर लखनऊ और दिल्ली के सियासी गलियारों तक इस जंग की चर्चा है। लोग मान रहे हैं कि वोटर लिस्ट का मुद्दा आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बड़ा राजनीतिक हथियार साबित हो सकता है। वहीं, असीम अरुण का यह बयान कि “वोटर लिस्ट की शुद्धता लोकतंत्र के लिए आवश्यक है” विपक्ष पर सीधा हमला माना जा रहा है। अब देखना होगा कि जिला निर्वाचन अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और आरोप-प्रत्यारोप की यह जंग किस मोड़ पर पहुंचती है।

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