खेत को कब कितनी खाद, पानी और दवा, सब बताएगा AI, IIT Kanpur के स्टार्टअप सृजन ने तैयार किया ऐप

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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किसानों को खेतों में कब कितनी खाद देनी है, किस समय फसल में पानी लगाना है और कब दवा का छिड़काव किया जाना है, इसकी पूरी जानकारी एआई ऐप से मिलेगी। आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप सृजन ने किसानों के लिए वरदान सरीखा यह एआई ऐप विकसित किया है, जिसे किसानों की फसल उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मददगार माना जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटिलेंस के जरिए ऐप किसानों को खेत में खाद, पानी और दवा की जानकारी के साथ खेत की मिट्टी में किन स्थानों पर पोषक तत्वों की कमी है, इसके बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। यही नहीं, फसल में किस जगह पर रोग या कीट लग रहा है, इसकी भी पहचान हो सकेगी। 

एआई और जियो स्पेशल डेटा पर आधारित है ऐप

सृजन एआई के डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से किसान खेतों और फसलों की लगातार निगरानी कर सकेंगे। एआई और जियो स्पेशल डेटा के आधार पर यह ऐप काम करेगा। इसकी मदद से समय के आधार पर फसलों के नियमित विकास का आकलन हो सकेगा। सृजन एआई के सह संस्थापक अमित श्रीवास्तव का कहना है कि यह प्लेटफॉर्म जियो डेटा के आधार पर एआई की मदद से विश्लेषण करके परिणाम देता है। मिट्टी की जांच करने के साथ ही फसलों का भी बारीकी से टेस्ट करता है। 

300 रुपये एकड़ खर्च में पूरे सीजन मिट्टी-फसल की जांच 

ऐप द्वारा खेत की मिट्टी के काफी छोटे हिस्से का परीक्षण करने से किसानों को यह जानकारी मिल सकती है कि मिट्टी के कितने भाग में पोषक तत्व कम हैं। किस भाग में फसल को कीटनाशकों की जरूरत है। सृजन एआई के डिजिटल प्लेटफार्म का कई स्थानों पर ट्रायल किया गया है। परिणाम अच्छे मिले हैं। ऐप से मिट्टी की जांच कराने में करीब एक हजार रुपये खर्च आता है।

अभी किसान एक सीजन में एक बार ही मिट्टी की जांच कराते हैं। किसानों को खाद या पेस्टीसाइड डालने के बाद मिट्टी में होने वाले परिवर्तन की जानकारी नहीं होती है। लेकिन सृजन ऐप डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए किसान सिर्फ 300 रुपये प्रति एकड़ खर्च कर पूरे सीजन में मिट्टी और फसल की पूरी जानकारी ले सकेंगे।

केसर महकेगी...महकेगी अब आपके भी कमरे में 

वह दिन दूर नहीं, जब केसर की खुशबू कश्मीर से बाहर देश के हर कोने में महकेगी। यह होगा मिट्टी में फसल की खेती के नए तरीके से, जिसके जरिए घर की छत, बॉलकनी और यहां तक कि कमरे में भी खेती की जा सकेगी। आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप 'एक्वा सिंथेसिस' ने इस तकनीक को विकसित किया है, जिसकी मदद से केसर, स्ट्रॉबेरी और ब्लैकबेरी को बिना मिट्टी के पानी के इस्तेमाल से उगाया जा सकेगा। हाइड्रोपोनिक तकनीक के जरिए यह सिस्टम तैयार किया गया है। इसमें मिट्टी के स्थान पर पोषक तत्वों से भरपूर पानी और अत्याधुनिक सेंसर का इस्तेमाल किया जाता है। तकनीक के जरिए फसल की जड़ तक पोषक तत्व पानी के माध्यम से पहुंचाए जाते हैं। इससे पौधे मिट्टी में उगाई गई फसलों जैसे स्वस्थ और समृद्ध विकसित होते हैं। इस तकनीक में न सिर्फ मिट्टी की आवश्यकता खत्म हो जाती है, बल्कि पानी की भी भारी बचत होती है। इस तकनीक में रोशनी, तापमान और नमी को नियंत्रित करने के लिए एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, सेंसर और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया गया है। स्मार्ट सेंसर रियल-टाइम में तापमान और नमी को मॉनिटर कर पौधों के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं। यह तकनीक घर की छत, कमरे या किसी भी छोटी जगह पर अपनाई जा सकती है। इसका पेटेंट भी कराया जा चुका है। 

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