Pitru Paksha 2025 : पितृ दोष से मिल सकती है मुक्ति, पितृ पक्ष और अमावस्या पर काले तिल का तर्पण है खास उपाय
अमृत विचार, लखनऊ : जीवन में अचानक आने वाले संकट-चाहे वह आर्थिक परेशानी हो, पारिवारिक कलह हो या रिश्तों में तनाव कई बार किसी सामान्य कारण से नहीं बल्कि पितृ दोष के कारण उत्पन्न होते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित विघ्नेश दुबे, शास्त्री के अनुसार, जब पूर्वजों की आत्मा संतुष्ट नहीं होती या उनके प्रति किए जाने वाले कर्तव्य अधूरे रह जाते हैं, तब पितृ दोष का प्रभाव परिवार पर पड़ता है। इस दोष को दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें सबसे प्रभावी उपाय माना गया है काले तिल का प्रयोग।
काले तिल का महत्व : ज्योतिषाचार्य पंडित विघ्नेश दुबे ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि काले तिल यमराज को प्रिय हैं। इन्हें तर्पण में शामिल करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। यही कारण है कि पितृ पक्ष, अमावस्या और विशेष अवसरों पर तर्पण में काले तिल का इस्तेमाल करना बेहद शुभ माना जाता है।

अमावस्या और पितृ पक्ष पर तर्पण : पंडित विघ्नेश दुबे शास्त्री का कहना है कि अमावस्या और पितृ पक्ष के दौरान पितरों को जल अर्पित करते समय उसमें काले तिल, कुश और जौ मिलाना चाहिए। इस कर्म से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। माना जाता है कि इससे पितृ दोष का प्रभाव कम हो जाता है और जीवन में खुशहाली लौट आती है।
इंदिरा एकादशी का व्रत : पंडित विघ्नेश दुबे शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में इंदिरा एकादशी को पितरों की मुक्ति के लिए विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर काले तिल अर्पित करने से पितरों के साथ-साथ स्वयं भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत पितृ दोष निवारण के लिए प्रभावी उपाय माना जाता है।
ग्रह दोष भी होते हैं शांत : पंडित शास्त्री के अनुसार, काले तिल का प्रयोग केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी है। पितृ पक्ष के समय काले तिल का तर्पण करने से राहु, केतु और शनि के दुष्प्रभाव शांत होते हैं। ये ग्रह जब अशुभ स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयाँ बढ़ा देते हैं। काले तिल का तर्पण इन ग्रहों को संतुलित कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

अर्यमा की पूजा से मिलता है विशेष फल : पितरों के देवता अर्यमा की पूजा पितृ पक्ष में करने की परंपरा है। इस दौरान काले तिल अर्पित करने से न केवल पितर प्रसन्न होते हैं, बल्कि देवताओं का भी आशीर्वाद मिलता है। इससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और वंश पर आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
अन्य उपाय भी जरूरी : पंडितों का कहना है कि पितृ दोष से बचाव केवल एक दिन की साधना से नहीं होता। इसके लिए नियमित रूप से पितरों का स्मरण, दान-पुण्य और ब्राह्मणों को भोजन कराना भी उतना ही आवश्यक है। जब परिवार एकजुट होकर तर्पण करता है, तो पितरों की आत्मा को विशेष शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति आती है।
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