पंचायत चुनाव से पहले छोटी पंचायतों की जरूरतों का ध्यान रखेगी योगी सरकार, बनाया यह बड़ा प्लान
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने पंचायत चुनाव से पहले छोटे शहरों की आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार ने कम आबादी वाले 60 से ज़्यादा शहरी स्थानीय निकायों दीन दयाल उपाध्याय योजना के तहत बजट देने पर विचार कर रही है। अधिकारियों की मानें तो शहरी विकास विभाग ने 34 ज़िलों के 66 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को इसके लिए चुना है जिन्हें आने वाले महीनों में दीन दयाल उपाध्याय योजना का लाभ मिलेगा।
नगर विकास विभाग के सूत्रों की मानें तो 50,000 से कम आबादी वाली नगर पंचायतों (नगर परिषदों) को बेहतर बनाने के उद्देश्य से, शहरी विकास विभाग द्वारा यूएलबी को अतिरिक्त बजट प्रदान किया जाता है ताकि ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित बस्तियों को कस्बों में बदला जा सके। नगर पंचायतों में तैनात कार्यकारी अधिकारियों को सड़कों की स्थिति, जल निकासी, स्ट्रीट लाइट और सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं में सुधार करने का काम सौंपा गया है।
लखनऊ में मोहनलालगंज, रायबरेली में नसीराबाद, शाहजहांपुर में निगोही, पीलीभीत में बरखेड़ा, फर्रुखाबाद में नवाबगंज, अयोध्या में खिरौनी सुचितागंज, बहराइच में कैसरगंज और मैनपुरी में करहल उन नगर पंचायतों में शामिल हैं जिन्हें अधिक धनराशि मिलेगी। प्रयागराज प्रशासनिक प्रभाग के प्रतापगढ़ ज़िले को सबसे ज़्यादा लाभ होगा, जहां पांच नगर पंचायतों को इस कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है।
उन्नाव, बरेली, बदायूं, देवरिया, अलीगढ़ और मेरठ उन ज़िलों में शामिल हैं जहां चार शहरी स्थानीय निकायों को चुना गया है। सीमित क्षमताओं वाले शहरों को सहायता प्रदान करने के लिए मार्च 2018 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य विकास गतिविधियों को निर्बाध रूप से तेज़ करना है।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 10,000 से कम आबादी वाली नगर पंचायतें 2 करोड़ रुपये पाने की हकदार होंगी। जिनकी आबादी 10,000 से 20,000 के बीच है, उन्हें 3 करोड़ रुपये मिलेंगे, जबकि जिनके अधिकार क्षेत्र में 20,000 से 50,000 लोग हैं, वे दो किस्तों में 4 करोड़ रुपये प्राप्त करने के पात्र होंगे। इस बीच, स्थानीय प्रशासन के प्रस्तावों पर कार्रवाई करते हुए जहां बजट के तत्काल निवेश की आवश्यकता है वहां पर 2026-27 वित्तीय वर्ष के लिए अब तक 22 जिलों में 44 नगर पंचायतों को शॉर्टलिस्ट किया गया है।
