यूपी में छात्र संघों का वनवास खत्म करने की तैयारी, पहले योगी सरकार ने की थी पहल... लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं हुआ था तैयार

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। यूपी के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में 18 साल से वनवास झेल रहे छात्रसंघों को बहाल करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। हालांकि योगी सरकार ने बसपा-सपा सरकार में स्थगित रहे छात्रसंघ चुनाव कराने के संकेत दिए थे, लेकिन विवि प्रशासन की आपत्तियों से ब्रेक लग गया। अब बाराबंकी के श्रीरामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है।

छात्र संघ चुनावों की बहाली को लेकर एक बार फिर आवाज़ तेज़ हो गई है। राज्य के कई हिस्सों से छात्र, पूर्व छात्र नेता और शिक्षा विशेषज्ञ अब यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक लोकतंत्र के प्रथम प्रशिक्षण केंद्र यानी छात्रसंघ पर प्रशासनिक रोक जारी रहेगी। वर्ष 2012 में छात्रसंघ चुनावों की बहाली का वादा करके सपा सरकार में आई थी। लेकिन लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों में आयु सीमा समेत कुछ बिदुंओं को मानने से छात्रों के इंकार करने से मामला जहां का तहां पड़ा रहा।

2017 में योगी सरकार बनते ही तत्कालीन उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने राज्यपाल राम नाईक से छात्रसंघ बहाली की मांग की, लेकिन विवि प्रशासन से सहमति नहीं बन पाई। पिछले साल इलाहाबाद विवि के 136वें दीक्षांत समारोह में सीएम योगी ने छात्रों की इस मांग पर खुलकर अपना पक्ष रखा था। उन्होंने एक समय सीमा तय करने के साथ ही युवा संसद का गठन करने की वकालत की थी। कहा था कि चुनाव का समय क्या होगा, इसके लिए सत्र नियमित करिए। 15 अगस्त से लेकर 25 अगस्त के बीच में ये तय कर लीजिए कि सभी प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करते हुए छात्र संघ का चुनाव करवा देंगे। इसके बाद विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का कार्यक्रम होगा। इसके लिए छात्रों का इकट्ठा करके छात्रों की ओपन डिबेट करानी चाहिए।

अब भाजपा विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रदेश में छात्रसंघ चुनावों की बहाली की पुरजोर वकालत की है। कहा है कि यदि प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव नियमित होते, तो रामस्वरूप विविव जैसी घटनाएं नहीं होतीं। इसबीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की मांग और आंदोलनों को देखते हुए सरकार फिर विचार करने की तैयारी में है।

लिंगदोह रिपोर्ट लागू करने में असमर्थ बसपा सरकार ने रोका था चुनाव

इस मुद्दे की कानूनी पृष्ठभूमि पर गौर करें तो 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने लिंगदोह समिति की रिपोर्ट को लागू करने के आदेश दिए थे। इस रिपोर्ट में साफ निर्देश दिए गए थे कि छात्रसंघ चुनाव गैर-राजनीतिक, पारदर्शी और अहिंसक होने चाहिए। चुनाव में उम्मीदवारों की उम्र, उपस्थिति, और खर्च की सीमा तय की गई थी। लेकिन, इसे लागू करने में बसपा सरकार की नाकामी का असर हुआ कि तत्कालीन बसपा सरकार ने छात्र संघ चुनाव में हिंसा का हवाला देते हुए 2006-07 से चुनाव पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि लखनऊ विवि की आखिरी चुनाव 2005 में हुआ था।

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