राष्ट्रीय शिक्षक दिवस: विद्यार्थियों का संवार रहे जीवन, लक्ष्य की ओर कर रहे केंद्रित
कई शिक्षक अपने बेहतर कार्य के लिए हो चुके हैं सम्मानित
बरेली, अमृत विचार : एक आदर्श शिक्षक वही है, जो अपने विद्यार्थी का सही मार्गदर्शन करने के लिए हर संभव प्रयास करे। जिले में ऐसे तमाम शिक्षक हैं, जो छात्रों को उनके लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। कई शिक्षकों को पुरस्कार मिल चुके हैं तो कई बिना किसी सम्मान के भी विद्यार्थियों को जीवन संवार रहे हैं। यही वजह है कि उनकी पहचान उनके द्वारा किए गए कार्यों की वजह से हो रही है।
अनोखा टीएलएम बनाया
प्राथमिक विद्यालय हरुनगला के प्रधानाध्यापक जाकिर हुसैन अपने अनोखे टीएलएम (टीचिंग एंड लर्निंग मेटेरियल) के लिए सभी शिक्षकों में जाने जाते हैं। अपने अनोखी शिक्षण शैली से बच्चों के बीच लोकप्रिय हैं, साथ ही इसके माध्यम से ऑनलाइन भी बच्चों को गणित, अंग्रेजी और विज्ञान के विषयों को रुचिकर ढंग से पढ़ाते हैं।
मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार
उच्च प्राथमिक विद्यालय कांधरपुर, क्यारा की प्रधानाचार्य शबीना परवीन विद्यालय के छात्रों को हर क्षेत्र में प्रोत्साहन देने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। वह 2015 में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। उन्होंने अपनी बेहतर कार्यशैली से स्कूल में छात्र संख्या बढ़ाने, स्कूल में साफ-सफाई और छात्रों में अनुशासन लाने में कामयाबी प्राप्त की है।
अब टूटते परिवारों को जोड़ रहे
पूर्व माध्यमिक विद्यालय अतरछेड़ी (मझगवां) के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य जय गोविंद सिंह वर्ष 1996 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। वह शिक्षण कार्यकाल से छात्रों के साथ समाज के लोगों की भी सहायता करने में आगे रहे हैं। वर्तमान में पुलिस परामर्श केंद्र में काउंसलर की भी भूमिका निभाकर टूटे हुए परिवारों को संजोने में भागीदारी निभा रहे हैं।
खिलाड़ियों को पढ़ा भी रहे
स्पोर्ट्स स्टेडियम फुटबॉल हास्टल के कोच आशुभारती खिलाड़ियों को न सिर्फ खेल की बारीकियां बताते हैं बल्कि उनकी पढ़ाई में भी सहायता करते हैं। खिलाड़ियों पर पढ़ाई का बोझ एक दम न पड़े, इसलिए रोजाना सभी खिलाड़ियों को डेढ़ घंटा पढ़ाते हैं। यही कारण रहा पिछले साल 11 वीं में फेल हुए दो खिलाड़ी इस वर्ष पास हुए।
निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे
रेलवे ग्राउंड पर कोच अजय वर्तमान कई खिलाड़ियों को निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर वह गरीब खिलाड़ियों की आर्थिक सहायता भी करते हैं। अजय का मानना है कि उन्हें अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, इसलिए वे नहीं चाहते कि गरीबी की वजह से कोई खिलाड़ी अपना खेल छोड़े।
