लखनऊ : देर से शादी करने से पुरुषों में बढ़ रहा बांझपन

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार । पुरुषों में बांझपन की समस्या भारत ही नहीं, पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है। देरी से इलाज में परिणाम और अधिक खराब हो जाते हैं। इससे बच्चे पैदा होने में समस्या होती है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि युवा अपने कॅरियर के चक्कर में देरी से शादी कर रहे हैं। साथ ही तनाव और जीवनशैली में बहुत बदलाव भी बांझपन का एक प्रमुख कारण है। लखनऊ में आईवीएफ केंद्रों की संख्या 60–65 तक पहुंच जाना बांझपन की बढ़ती महामारी को दर्शाता है। शहर अब आईवीएफ हब के रूप में उभर रहा है। ये कहना है वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. गीता खन्ना का।

डॉ. गीता शनिवार को अजंता होप सोसायटी ऑफ ह्यूमन रीप्रोडक्शन एंड रिसर्च, इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी (आईएफएस) की ओर से हजरतगंज के होटल क्लार्क अवध में आयोजित इंटरनेशनल होप सीएमई को संबोधित कर रहीं थीं। इसका उद्घाटन सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने किया। विशिष्ट अतिथि रक्षामंत्री के प्रतिनिधि रिटायर आईएएस दिवाकर त्रिपाठी, आईएफएस के अध्यक्ष कर्नल डॉ. पंकज तलवार रहे। सीएमई में देश और विदेश से आए आईवीएफ विशेषज्ञों में डॉ. सोनिया मलिक, डॉ. केडी नायर, डॉ. पूनम नायर, डॉ. कुलदीप जैन, यूएई से डॉ. यूसुफ अल्हाऊ आदि रहे। डॉ. गीता ने कहा कि प्रिजर्वेटिव और पैकेजिंग युक्त भोजन हमें बहुत नुकसान पहुंचा रहा है।

उन्होंने कहा कि मोटापा, धूम्रपान, शराब, तनाव, देर से विवाह और चिकित्सीय कारणों जैसे पीसीओएस, फाइब्रॉइड, एंडोमीट्रियोसिस, बंद ट्यूब और घटती शुक्राणु गुणवत्ता की वजह से समस्याएं आ रही हैं। कलंक और जागरूकता की कमी की वजह से महिलाओं पर अनुचित दोषारोपण होता है। उन्होंने बताया कि करीब 78 फीसदी दंपति मानसिक तनाव से गुजरते हैं। चौंकाने वाली बात है कि 60 फीसदी महिलाएं पहले झांड़ फूंक, ओझा तांत्रिक के पास जाती हैं। इससे भी समस्या अधिक बढ़ जाती है। ऐसे मामलों में बाद में आईवीएफ कराने में भी समस्या पैदा हो सकती है।

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