हाईकोर्ट ने की संभल में मैरिज हॉल और मस्जिद ध्वस्तीकरण पर अर्जेंट सुनवाई
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल के रयान बुज़ुर्ग स्थित मस्जिद और अस्पताल के ध्वस्तीकरण संबंधी मामले में याचिका पर शुक्रवार (3 अक्तूबर) को विशेष अवकाश पीठ गठित कर सुनवाई की। मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत 2 सितंबर 2025 को पारित आदेश सहित नोटिसों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के 13 नवंबर 2024 के आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
सरकारी पक्ष ने कार्यवाही में पारित आदेश की प्रति प्रस्तुत की और याची पक्ष को उपलब्ध कराई। याची की ओर से आदेश की प्रति को शपथपत्र सहित दाखिल करने और नया वकालतनामा प्रस्तुत करने के लिए 12 घंटे का समय मांगा गया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
मामला अब 4 अक्तूबर को सुबह 10 बजे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। मस्जिद शरीफ गोसुलबारा रावा बुजुर्ग और उसके मुतवल्ली मिंजर की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि प्रशासन ने अवैध निर्माण बताते हुए 2 अक्तूबर को चार बुलडोजरों की मदद से महज चार घंटे में मैरिज हॉल को जमींदोज कर दिया।
याची का कहना है कि यह कार्रवाई गांधी जयंती और दशहरे जैसे दिन पर की गई, जिससे भीड़ और तनाव की स्थिति बनी और बड़ा हादसा हो सकता था। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि मस्जिद का कुछ हिस्सा सरकारी भूमि पर है। प्रशासन ने मस्जिद कमेटी को अवैध निर्माण हटाने का नोटिस दिया था और चार दिन का समय दिया था।
हालांकि समयसीमा पूरी होने से पहले ही कमेटी के लोगों ने स्वयं हथौड़ा चलाकर मस्जिद की दीवारें गिराना शुरू कर दीं। याची की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक त्रिपाठी ने पक्ष रखा। उन्होंने ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाने की मांग की।
हालांकि न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की एकलपीठ ने दोपहर में करीब सवा घंटे तक पक्षकारों के तर्कों को सुनने के बाद फिलहाल कोई अंतरिम राहत नहीं दी है और मस्जिद कमेटी को जमीन के दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार, डीएम संभल, एसपी, एडीएम, तहसीलदार और ग्राम सभा को मामले में पक्षकार बनाया गया है।
