सहारा शहर में आक्रोशित कर्मचारियों का प्रदर्शन, प्रबंधन की तरफ से भेजा गया संदेश
कार्यालय संवाददाता, लखनऊ, अमृत विचार : सहारा शहर में कर्मचारियों का प्रदर्शन शनिवार को भी जारी रहा है। हालांकि सहारा प्रबंधन और कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल के बीच बातचीत हुई है। इस बातचीत के बाद कर्मचारियों का कितना भला होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा, लेकिन प्रतिनिधिमंडल ने कर्मचारियों को समझाने की कवायद शुरू कर दी है।
दरअसल, सालों से सहारा के लिए काम कर रहे कर्मचारी मौजूदा समय में आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट चुके हैं। उनके जेब में घर खर्च चलाने तक के लिए पैसा नहीं बचा है। कर्मचारियों की सिर्फ एक ही मांग है कि उनका हिसाब कर बकाया दिया जाये। इनमे से कुछ कर्मचारी ऐसे भी है जो 25 साल से भी अधिक समय से सहारा के लिए काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री तक पहुंचायी जाये हमारी मांग
आक्रोशित कर्मचारियों ने सहारा शहर के मुख्य गेट पर ताला लगा रखा है, बिना उनकी इजाजत के कोई भी अंदर या फिर बाहर नहीं जा सकता है। कर्मचारियों ने सहारा प्रबंधन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुये बकाया वेतन और पीएफ का पैसा देने की गुहार लगाई है।
कर्मचारियों ने कहा है कि उनकी बात यूपी के मुख्यमंत्री तक पहंचायी जाये। पैसे की कमी से जूझ रहे कर्मचारियों को बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य की चिंता खाये जा रही है, लेकिन प्रबंधन से हुई बातचीत के बाद सहारा शहर में कुछ कर्मचारियों ने मीडिया से बातचीत करने की बात कही। वहीं कई कर्मचारियों ने प्रबंधन के दबाव में बात करने से ही माना कर दिया।
सीलिंग की कार्रवाई से बढ़ी कर्मचारियों में टेंशन
बुधवार को नगर निगम की टीम सहारा शहर को सील करने पहुंची थी,जिसके बाद नगर निगम ने सहारा शहर को खाली करने के लिए तीन दिन की मोहलत प्रबंधन को दी थी, लेकिन उसके बाद से ही कर्मचारियों ने भय व्याप्त हो गया और अपना बकाया मांगने के लिए कर्मचारी प्रदर्शन करने लगे।
30 साल की लीज पर मिली थी जमीन
सहारा इंडिया हाउसिंग लिमिटेड को 170 एकड़ जमीन साल 1994 में नगर निगम ने दी थी। ताकि इस जमीन पर कॉलोनी विकासित की जा सके, लेकिन कंपनी ने जब शर्त पूरी नहीं की, तो नगर निगम ने यह डीड निरस्त कर दी।
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