कानपुर : हाई बीपी व डायबिटीज रोगियों में बढ़ रहा ग्लूकोमा का खतरा, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग में हुई 300 मरीजों पर हुई स्टडी
कानपुर, अमृत विचार। अगर आप हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीज है और इसके साथ ही आपको आंखों में दर्द, सिरदर्द, धुंधलापन, आंख में लालीमा, रोशनी के चारों ओर इंद्रधनुषी छल्ले दिखते हैं तो ऐसे में सचेत होने की जरूरत है। क्योंकि यह ग्लूकोमा के मुख्य लक्षण हो सकते हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग में की गई स्टडी में जानकारी मिली है कि हाई बीपी और डायबिटीज ग्रस्त मरीजों में ग्लूकोमा का खतरा बढ़ा है। वहीं, कोलेस्ट्रोल बढ़ने से भी आंख में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में लापरवाही घातक साबित हो सकती है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 15 मरीज ग्लूकोमा के लक्षण युक्त पहुंचते हैं। ग्लूकोमा के मरीजों की संख्या बढ़ने पर इसकी मुख्य वजह जानने के लिए ग्लूकोमा विशेषज्ञ डॉ.शालिनी मोहन ने टीम के साथ 300 मरीजों पर एक स्टडी की, यह सभी मरीज ग्लूकोमा ग्रस्त थे।
स्टडी में सामने आया कि करीब 72 फीसदी मरीज ग्लूकोमा के साथ डायबिटीज ग्रस्त थे, इनमे से 24 फीसदी मरीज काफी लंबे समय से डायबिटीज की शिकार थे। इसके अलावा 43 फीसदी मरीजों में ग्लूकोमा का मुख्य कारण हाई बीपी था।
वहीं, स्टडी में यह भी जानकारी हुई कि शरीर में कोलेस्ट्राल बढ़ने से भी ग्लूकोमा का खतरा बढ़ सकता है। इससे अंधेपन का खतरा रहता है। डॉ.शालिनी मोहन के मुताबिक ग्लूकोमा होने का मुख्य कारण आंख के अंदर दबाव का बढ़ना है जो आप्टिक तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। इससे नेत्र दोष की समस्या बढ़ रही है।
ऐसे में हाई बीपी व डायबिटीज ग्रस्त मरीजों को आंख संबंधित समस्या होने पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। वहीं, कोलेस्ट्रोल बढ़ने पर भी लापरवाही घातक हो सकती है। बताया कि ग्लूकोमा के शुरुआती चरणों में कोई लक्षण नहीं होते, इसलिए नियमित नेत्र परीक्षण करवाना बहुत जरूरी है, खासकर 40 वर्ष की उम्र के बाद जांच जरूरी है।
ग्लूकोमा मरीजों का कई स्टेप में इलाज
डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि लगभग हर उम्र के लोगों में होने वाला ग्लूकोमा डायबिटीज, हाई बीपी और कोलेस्ट्राल बढ़ने पर लोगों को आसानी से अपनी चपेट में ले रहा है। ओपीडी में भी प्रतिदिन ग्लूकोमा के मरीज सामने आ रहे हैं। इसे देखते हुए ही विभाग में आंकड़े जुटाकर यह स्टडी की गई है। स्टडी में आए परिणाम के बाद अब ग्लूकोमा ग्रस्त मरीजों का कई स्टेप में इलाज किया जा रहा है। साथ ही ऐसे मरीजों की टीम द्वारा हिस्ट्री भी ली जा रही है। ताकि इलाज में आसानी हो सके।
ऐसे होता है ग्लूकोमा
डॉक्टर के मुताबिक ग्लूकोमा ग्रस्त व्यक्ति में आंख में लगातार एक विशेष तरल पदार्थ बनता रहता है। यदि यह तरल पदार्थ ठीक से बाहर नहीं निकल पाता तो आंख के अंदर दबाव बढ़ जाता है। यह बढ़ा हुआ दबाव ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है। इसके बाद धीरे-धीरे यह दृष्टि में अंधापन (ब्लाइंड स्पॉट) पैदा करता है। इलाज न कराने और लापरवाही बरतने पर पूरी तरह से अंधापन आ सकता है।
ऐसे करें बचाव
-40 वर्ष के बाद नियमित आंखों की जांच कराएं।
-आई ड्रॉप्स का उपयोग करे, ताकि आंखों का दबाव को नियंत्रित रहे।
-यदि दवाएं प्रभावी नहीं होतीं तो लेजर विधि या सर्जरी कराएं।
-स्वस्थ आहार का सेवन जरूर करें।
-जीवनशैली में नियमित रूप से व्यायाम को शामिल करे।
-कैफीन का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
