युवाओं के मस्तिष्क को डस्टबिन बना रहा मोबाइल फोन

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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मोबाइल फोन युवाओं के जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। मोबाइल फोन के बिना अब सूचनाओं को हासिल करना लगभग नामुमकिन हो गया है। युवा जहां आज मोबाइल फोन को जरूरी समझने लगे हैं, वहीं विशेषज्ञ इसके अधिक इस्तेमाल को युवाओं के लिए सबसे बड़ा खतरा बता रहे हैं, जिससे युवाओं का मस्तिष्क प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों की माने तो मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से अधिकतर युवाओं में नाराजगी, गुस्सा, अनिद्रा और अनावश्यक जिद जैसी स्थितियां सामने आने लगी हैं। -राजीव त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार

भारत में मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि 2026 तक स्मार्टफोन यूसर्स की संख्या एक अरब तक पहुंच जाएगी। भारत में 75 करोड़ से अधिक लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। एक अध्ययन के अनुसार 10-14 साल के भारतीय बच्चों में स्मार्टफोन का इस्तेमाल 83 फीसदी था। 30 साल से कम उम्र के आयु वर्ग में स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्टफोन के दुष्परिणाम भी 30 वर्ष से कम आयु के युवाओं में सबसे अधिक सामने आ रहे हैं। 

एक अध्ययन के अनुसार भारतीय युवा 7 से 8 घंटे तक फोन का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में फोन में मौजूद सामग्री युवाओं के मस्तिष्क में स्टोर होने लगती है। मनोवैज्ञानिकों का तो यहां तक कहना है कि युवा मोबाइल फोन में जिस तरह की सामग्री देखते हैं वह उस तरह का बर्ताव करने लगते हैं। इसके अलावा कुछ सेकंड की रील्स को बहुत अधिक देर तक देखने की आदत युवाओं में जल्दी-जल्दी बर्ताव बदलने के व्यवहार को विकसित कर देती है। इससे युवा बहुत अधिक देर तक किसी भी कार्य को करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। इसका असर यह होता है कि युवाओं को किसी भी कार्य के परिणाम को हासिल करने में या तो असफलता मिलती है या फिर बहुत अधिक देर से सफलता मिलती है। 

ऐसे करें बचाव 

स्मार्टफोन सूचनाओं के लिए जितना जरूरी है, युवाओं के लिए अब उतना ही घातक साबित हो रहा है। मोबाइल फोन का उपयोग उतना ही करना चाहिए जितना जरूरी हो। इसके उलट युवा मोबाइल पर सबसे अधिक समय देते हैं। इसकी वजह से उनमें कई तरह के नकारात्मक प्रभाव सामने आने लगे हैं। इनमें तनाव, अनिद्रा, भूख न लगना और एकाग्रता में कमी और जल्द गुस्सा आना जैसे लक्षण सामान्य है। - डॉ. एलके सिंह, मनोवैज्ञानिक 

मोबाइल फोन के विकल्प 

मोबाइल फोन पर बर्बाद हो रही समय को युवा या स्टूडेंट अन्य गतिविधियां अपनाकर सदुपयोग में ला सकता है आउटडोर गेम, फैमिली के साथ बातचीत या फिर पार्क में टहलने जैसी गतिविधियां मोबाइल फोन से दूरी बन सकती हैं। इन गतिविधियों से व्यक्तित्व विकास होगा। अनावश्यक मोबाइल पर देखी जाने वाली सामग्री से भी युवा दूर रहेंगे। इसके साथ ही प्रकृति के करीब जाना, पुस्तकें पढ़ना, कला और शौक, पेंटिंग, संगीत, नृत्य या अन्य कलात्मक गतिविधियों में भाग लेना आदि मोबाइल फोन से दूरी बनाने में मदद कर सकता है।-आकांक्षा सक्सेना, शिक्षक व काउंसलर

युवाओं को यह समझना चाहिए कि मोबाइल फोन उनके जीवन का बहुमूल्य समय खर्च कर रहा है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि युवा मोबाइल फोन की लत से बचने के लिए अपनी रूचि का कार्य करें। इससे युवाओं को काफी फायदा हासिल हो सकता है।-विवेक अवस्थी, शिक्षक व काउंसलर

मोबाइल फोन से जुड़ा सर्वे

एक सर्वे के मुताबिक 32 फीसदी भारतीय हर हफ्ते 4 से 6 घंटे स्मार्टफोन पर समय बिताते हैं। 74 फीसदी युवा स्मार्टफोन पर कम से कम 6 घंटे मोबाइल गेम खेलते हैं। वहीं 72 फीसदी युवा फोन पर गेम खेलते हैं और 41 फीसदी यूजर्स स्मार्टफोन का इस्तेमाल सोशल रहने के लिए करते हैं। कॉलेज कैंपस में स्मार्ट फोन को रोके जाने का कोई नियम नहीं है। इसके बावजूद भी हम लोग युवाओं पर नजर रखते हैं। कॉलेज में टीमें बनी हैं, वह पुस्तकालय और कक्षाओं में युवाओं की ओर से स्मार्टफोन पर देखी जाने वाली सामग्री पर नजर रखती हैं।  -प्रो. अनूप कुमार सिंह, प्राचार्य, पीपीएन पीजी कॉलेज

किसी के स्मार्टफोन की स्क्रीन पर नजर रखना उनकी प्राइवेसी का हनन होता है। इसके बावजूद कॉलेज में कक्षाओं में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने में पूरी तरह से पाबंदी लगी हुई। इसकी वजह कक्षाओं में मोबाइल फोन का इस्तेमाल न होना है। इसके अलावा पुस्तकालय में युवाओं को सिर्फ लेपटॉप और टेबलेट ही ले जाने की ही अनुमति है।-डॉ. बीएन कौशिक, प्राचार्य, वीएसएसडी कॉलेज

बच्चों के लिए स्मार्टफोन आज के दौर में बहुत जरूरी हो गया है। इसके बावजूद हम लोग कोशिश करते हैं कि वे ज्यादातर समय मोबाइल फोन से दूर रहे। कई बार यदि बच्चे ज्यादा देर तक मोबाइल में व्यस्त हैं तो उन पर नजर भी रखते हैं।-रेनू अवस्थी, अभिभावक

बच्चे मोबाइल फोन पर क्या कर रहे हैं, इसकी जानकारी समय-समय पर हम लोग लेते हैं। जब समय होता है तो अक्सर हम लोग फोन की कॉल हिस्ट्री या अन्य हिस्ट्री देख लेते हैं। बच्चों पर नजर रखना बहुत जरूरी है। -रक्षा चतुर्वेदी, अभिभावक

स्मार्टफोन हम लोगों की जरूरत है। हर जगह लेपटॉप को कैरी कर नहीं ले जाया जा सकता है। मैं कोशिश करता हूं कि जितना समय फोन पर देना है, उतना ही समय दूं। फोन पर बात करने के अलावा सोशल मीडिया प्लटफॉर्म पर मैं बहुत अधिक समय नहीं देता हूं। -अशुमेंद्र प्रताप सिंह, युवा 

आज का दौर बहुत फास्ट है। प्रतियोगिता के इस दौर पर हर तरह की सूचनाएं मोबाइल फोन पर आती हैं। हम लोग ऑनलाइन क्लास भी मोबाइल पर ही लेते हैं। ऐसे में मोबाइल फोन को सकारात्मक रूप से भी इस्तेमाल किया जा सकता है। -आयुषी सिंह, युवा

आज का युवा पढ़ा-लिखा व समझदार है, जिसे जिस तरह का उपयोग मोबाइल फोन का करना है वह करेगा। युवाओं को खुद समझना होगा कि वे अपने करियर के लिए कितना फोकस करना है। उसी अनुसार वह मोबाइल फोन पर समय देता है। -अंजली कोस्टा, युवा 

बहुत से ऐसे युवा है, जो मोबइल फोन पर पूरे दिन में 4 से 6 घंटे तक अनावश्यक समय देते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। समय महत्वपूर्ण है। इसका सदुपयोग करना चाहिए। यदि सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर रुपये कमा रहे हैं, वहां तक ठीक है। -नितीश कुमार यादव, युवा

 

 

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