जिंदगी का सफर: 70 की चुलबुली सी अभिनेत्री आशा पारेख
बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री, निर्देशक और निर्माता आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को मुंबई में एक गुजराती परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्राणलाल पारेख और मां का नाम सुधा पारेख था। अपनी मां के प्रोत्साहन से, उन्होंने कम उम्र में ही भारतीय शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा लेना शुरू कर दिया था और उन्होंने भरतनाट्यम में महारत हासिल की। 1952 में मशहूर निर्देशक बिमल रॉय ने उन्हें एक स्टेज शो में नाचते हुए देखा और उन्हें अपनी फिल्म ‘मां’ में बाल कलाकार के रूप में काम दिया। इसके बाद, उन्होंने फिल्म ‘बाप बेटी’ (1954) में भी अभिनय किया।
16 साल की उम्र में, उन्होंने फिल्म ‘दिल देके देखो’ (1959) में शम्मी कपूर के साथ मुख्य अभिनेत्री के रूप में अपनी शुरुआत की। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई और उनके करियर को एक नई दिशा दी। 1960 और 1970 के दशक में उन्होंने कई सफल फिल्में दीं, जिसके कारण उन्हें ‘द हिट गर्ल’ के नाम से जाना जाने लगा। उनकी प्रमुख फिल्में हैं, ‘दिल देके देखो’ (1959), ‘तीसरी मंजिल’ (1966), ‘कटी पतंग’ (1970), ‘कारवां’ (1971), ‘मेरा गांव मेरा देश’ (1971) और ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ (1978)। फिल्म ‘कटी पतंग’ (1970) में अपनी भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।
आशा पारेख ने कभी शादी नहीं की। उन्होंने एक बार खुलासा किया था कि वह निर्देशक नासिर हुसैन से प्यार करती थीं, लेकिन चूंकि वह पहले से शादीशुदा थे, इसलिए वह किसी का घर नहीं तोड़ना चाहती थीं। अभिनय के अलावा, आशा पारेख ने टेलीविजन में भी काम किया। उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस ‘आकृति’ शुरू किया, जिसके तहत उन्होंने टीवी धारावाहिकों का निर्माण किया। उन्होंने एक गुजराती टीवी सीरियल ‘ज्योति’ का निर्देशन भी किया था।
उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2020 में सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (2002) उन्हें उनके उत्कृष्ट करियर के लिए दिया गया। वह समाजसेवी भी हैं और उन्होंने मुंबई में एक धर्मार्थ अस्पताल की स्थापना की है, जिसका नाम ‘द आशा पारेख अस्पताल’ है।
