एलडीए का कारनामाः जिस प्लॉट का बैनामा और नक्शा पास किया, उसी पर बने घर को कर दिया ध्वस्त, HC ने लगाई रोक... मांगा जवाब
लखनऊ, अमृत विचार : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष एक याचिका दाखिल करते हुए कहा गया है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने गोमती नगर विस्तार में जिस प्लॉट का वर्ष 2009 में बैनामा किया और फिर 2016 में उक्त प्लॉट पर मकान का नक्शा भी पास किया। लेकिन, 2025 में उक्त नक्शे के आधार पर बने उसी मकान पर बुलडोजर चला दिया। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले पर विस्तृत विचार की आवश्यकता जताई है। साथ ही इस संबंध में वीसी द्वारा पारित आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ ने दीपा मिश्रा की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया है। मामले के अनुसार, एलडीए ने वर्ष 2005 में सेक्टर-4, गोमती नगर एक्सटेंशन स्थित प्लॉट संख्या 4/542 प्रमोद कुमार वर्मा को 60 वर्ष की लीज पर आवंटित किया था। जिसके बाद 10 दिसम्बर 2009 को उक्त भूखंड का फ्रीहोल्ड विक्रय विलेख एलडीए द्वारा प्रमोद कुमार वर्मा के पक्ष में निष्पादित किया गया। बाद में, 27 जून 2014 को एलडीए ने सेक्टर-4 का लेआउट प्लान संशोधित करते हुए उक्त भूखंड को योजना से हटा दिया, परंतु इस संबंध में न तो प्रमोद कुमार वर्मा को कोई सूचना दी गई और न ही सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया। इसके बावजूद, वर्ष 2016 में एलडीए ने प्रमोद कुमार वर्मा द्वारा प्रस्तुत भवन मानचित्र को स्वीकृति दी, जिसके पश्चात उन्होंने यूनियन बैंक से ऋण लेकर आवास निर्माण कराया।
बाद में ऋण खाता एनपीए घोषित हुआ और बैंक ने सरफेसी एक्ट के तहत संपत्ति की नीलामी की, जिसमें याची ने 95 लाख 32 हजार का भुगतान कर के उक्त भूखंड एवं भवन को खरीदा। याची को 25 जून 2025 को संपत्ति का कब्जा प्राप्त हुआ, लेकिन उसी दिन एलडीए द्वारा उक्त भवन को ध्वस्त कर दिया गया। याची को पता चला कि एक अन्य प्लॉट 4/540 के स्वामी राम जियावन अपने प्लॉट पर कब्जा पाने के लिए लगातार प्रत्यावेदन दे रहे थे, याची के भवन पर धवस्तीकरण की कार्रवाई उन्हीं के प्रत्यावेदन के तहत की गई।
