Bareilly: जागरूकता बनेगी ढाल...कैंसर अब नहीं रहा लाइलाज
बरेली, अमृत विचार। कैंसर का नाम ही इसकी भयावहता को बताने के लिए काफी है। कैंसर पीड़ित होने की जानकारी पर मरीज बीमारी से लड़ने की हिम्मत हार जाते हैं। यही हाल घरवालों का भी होता है। हालांकि कुछ लोग इस बीमारी से लड़ते हैं और जीतते भी हैं। मुस्कुराकर फिर अपनी स्वस्थ जिंदगी गुजारते हैं, जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो।
अभी भी कैंसर के प्रति जागरूकता में कमी देखी जा रही है। इससे साल दर साल कैंसर रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। राहत की बात ये है कि कैंसर रोगियों के इलाज की तकनीकों में भी कल्याणकारी बदलाव हो रहे हैं, लेकिन बात है बस जागरूक होकर समय पर डॉक्टर के संपर्क करने की। जागरूकता हर कैंसर रोगी के लिए किसी ढाल से कम नहीं है। इसलिए ही तो कैंसर अब लाइलाज नहीं है। बड़ी संख्या में रोगियों ने कैंसर को मात दी है।
रोहिलखंड कैंसर इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मण पांडेय के अनुसार जागरूकता के लिए सबसे जरूरी ये समझना है कि कैंसर क्या है। दरअसल, कैंसर खुद में कोई बीमारी नहीं, बल्कि कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि है। जो शरीर के किसी भी अंग में, कभी भी और किसी भी उम्र हो सकती है। यह वृद्धि एक अंग से होती हुई शरीर के दूसरे भाग को भी प्रभावित कर सकती है। डॉ. पांडेय के अनुसार शरीर का न भरने वाला घाव, किसी अंग विशेष में लगातार दर्द, तेजी से बढ़ रही गांठ कैंसर हो सकता है। साथ ही वह जोड़ते हैं कि हां हर गांठ कैंसर नहीं होती। इसके लिए जरूरी है कि कोई भी लक्षण मिलने पर तत्काल डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। अस्वास्थ्यकर खानपान, जीवनशैली और प्रदूषण कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। इससे बचाव और जागरूकता कैंसर रोकने में कारगर है।
डॉ. पांडेय के अनुसार वैश्विक रूप से देखें तो बीमारी से होने वाली मौतों में कैंसर दूसरा सबसे बड़ा कारण हैं। वर्ष 2018 में करीब 96 लाख लोगों की कैंसर से जान गई। यानि छह में एक मरीज के निधन की वजह कैंसर बना। फेफड़ा, प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट और लिवर कैंसर से पुरुष ज्यादा प्रभावित हुए, जबकि ब्रेस्ट, कोलोरेक्टल, फेफड़ा और सर्वाइकल कैंसर ने महिलाओं पर ज्यादा असर डाला। तेजी से फैल रही ये बीमारी लोगों को भयभीत करने के साथ परिवारों, समाज और स्वास्थ्य सेवाओं पर असर भी असर डाल रही है। इससे शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय रूप से भी तनाव बढ़ रहा है।
