मुरादाबाद : समोशरण तीर्थंकर प्रकृति के उदय से निर्मित त्रैलोक्य का सर्वोच्च वास्तुशिल्प

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Published By Pradeep Kumar
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टीएमयू में श्री मज्जिनेन्द्र कल्पद्रुम महामंडल विधान का महायज्ञ के साथ आज होगा समापन

मुरादाबाद, अमृत विचार। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में आयोजित श्री मज्जिनेन्द्र कल्पद्रुम महामंडल विधान के अष्टम दिन प्रज्ञाश्रमण उपाध्याय श्री 108 प्रज्ञानंद जी महामुनिराज ने समोशरण को तीर्थंकर प्रकृति के उदय से निर्मित त्रैलोक्य का सर्वोच्च वास्तुशिल्प बताया।

उन्होंने कहा कि समोशरण का वैभव तीर्थंकरों के दिव्य उपदेशों का एक भव्य और अलौकिक मंडप है, जिसका निर्माण तीर्थंकर को केवलज्ञान प्राप्त होने के बाद सौधर्म इंद्र की आज्ञा से कुबेर की ओर से किया जाता है। समोशरण पृथ्वी से हजारों हाथ ऊपर आकाश में अधर में स्थित होता है। संरचना में चार भव्य परकोटे और पांच वेदियां होती हैं, जिनके बीच की आठ भूमियां विभिन्न भव्य तत्वों से सुसज्जित होती हैं, जिनमें नाट्यशालाएं, रत्नमय पुष्प वाटिकाएं और चौत्य वृक्ष शामिल होते हैं।

प्रज्ञाश्रमण उपाध्याय श्री 108 प्रज्ञानंद जी महामुनिराज ने बताया कि समोशरण की चारों दिशाओं में स्थापित रत्नजड़ित मानस्तंभ होते हैं, जिनके दर्शन मात्र से अज्ञानी प्राणी भी अहंकार त्यागकर सम्यक दर्शन के लिए तैयार हो जाता है। भगवान समोशरण के केंद्र में स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान होते हैं, जिससे उनका मुख पूर्व दिशा में होने पर भी, उनकी शक्ति के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि वे चारों दिशाओं में धर्म का उपदेश दे रहे हैं। उनकी दिव्य ध्वनि बिना किसी भाषा के ओ३म के रूप में प्रगट होती है।

विश्व शांति और आत्म-कल्याण के उद्देश्य से मंगल शांतिधारा करने का सौभाग्य टीएमयू के कुलाधिपति सुरेश जैन, सम्राट भरत चक्रवर्ती की भूमिका में ग्रुप वाइस चेयरमैन मनीष जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अक्षत जैन आदि को मिला। अशोक जैन, नीरू जैन, रिंकू जैन आदि ने श्रीफल अर्पित किए। इस दौरान वीना जैन, जाहन्वी जैन, डॉ. कल्पना जैन, विपिन जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. रत्नेश जैन, प्रो. रवि जैन, डॉ. अर्चना जैन, आदित्य जैन, प्रो. प्रवीन कुमार जैन, डॉ. विनीता जैन, अहिंसा जैन, डॉ. अक्षय जैन, निकिता जैन, सुनीता जैन सहित अन्य लोग मौजूद रहे। समापन शुक्रवार को विश्व शांति महायज्ञ के साथ होगा।

गुरुओं के उपदेश के बाद मुख्य पूजा की क्रियाएं हुईं
गणिनी प्रमुख 105 श्री ज्ञानमती माता के चित्र के समक्ष अर्घ्य चढ़ाया गया। गुरुओं के उपदेशों के बाद कलपद्रुम महामंडल विधान की मुख्य पूजा की क्रियाएं हुईं। जैन धर्म के संतों मुनि श्री सभ्यानंद मुनिराज, कर्मयोगी क्षुल्लकरत्न गिरनार पीठाधीश श्री 105 समर्पण सागर महाराज, क्षुल्लक श्री 105 दिव्यानंद महाराज, क्षुल्लक श्री 105 प्रबुद्धानंद महाराज के सान्निध्य में मंत्रोच्चार के बीच उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने श्रद्धा और समर्पण के भाव से प्रभु के चरणों में अर्घ्य समर्पित करके पुण्य कमाया।

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