‘डिजिटल गोल्ड या ई-गोल्ड’ में निवेश से सावधान! SEBI ने जारी की चेतावनी - जानें क्या कहा

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Published By Anjali Singh
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कानपुर, अमृत विचार। सोने चांदी में तेजी के बीच अब ‘डिजिटल गोल्ड’ नाम से चल रहे ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्म सुर्खियों में हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को निवेशकों को चेतावनी जारी की है। सेबी ने स्पष्ट किया है कि ‘डिजिटल गोल्ड’ किसी भी रूप में सेबी के नियामकीय दायरे में नहीं आता। इसमें निवेश करने वाले निवेशकों को भारी जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।

डिजिटल गोल्ड या ई-गोल्ड वे ऑनलाइन उत्पाद हैं जिन्हें कुछ ऐप्स और वेबसाइटें ‘फिजिकल गोल्ड के विकल्प’ के रूप में पेश कर रही हैं। निवेशक इन प्लेटफॉर्म्स पर पैसे डालकर उतने ग्राम सोने का दावा खरीद सकते हैं, जो कथित तौर पर उनके लिए किसी वॉल्ट में रखा जाता है। इस पर सेबी ने स्पष्ट किया है कि ऐसे डिजिटल उत्पाद न तो सेबी द्वारा अधिसूचित प्रतिभूति हैं, न ही कमोडिटी डेरिवेटिव के रूप में मान्यता प्राप्त हैं। यानि इन पर किसी भी तरह का निवेशक सुरक्षा तंत्र लागू नहीं होता। डिजिटल गोल्ड या ई-गोल्ड उत्पाद सेबी के विनियमन से बाहर हैं। इनमें निवेश से निवेशकों को काउंटरपार्टी और ऑपरेशनल रिस्क का सामना करना पड़ सकता है।

शहर का सौ करोड़ निवेश

रेगुलेटेड गोल्ड उत्पादों में शहर के निवेशकों का सौ करोड़ रुपये से अधिक के निवेश का अनुमान है। शेयर व आर्थिक विशेषज्ञ राजीव सिंह ने बताया कि शहर में पिछले कई वर्षों में म्यूच्यूअल फंड्स द्वारा जारी एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड (ईटीएफ), सोवरन गोल्ड बांड तथा स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाले इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट्स में निवेश करने वाले निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। कई मोबाइल ऐप्स छोटे निवेशकों को सौ रुपये से शुरू होने वाले सोने के निवेश के नाम पर लुभा रहे हैं।

रेगुलेटेड गोल्ड पर करें भरोसा

सेबी ने अपने बयान में कहा है कि निवेशक यदि सोने में निवेश करना चाहते हैं तो उनके पास पहले से ही तीन रेगुलेटेड विकल्प उपलब्ध हैं। इनमें गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड- म्यूचुअल फंड्स द्वारा जारी किए जाते हैं और स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडेबल हैं। इसी तर एक्सचेंज ट्रेडेड गोल्ड डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स कमोडिटी एक्सचेंजों पर सेबी नियामन के तहत चलते हैं। इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट्स सोने को एक्सचेंज पर डिपॉजिटरी रूप में रखने की मान्यता प्राप्त प्रणाली। इन तीनों विकल्पों में निवेशक को निवेशक सुरक्षा तंत्र उपलब्ध रहता है, जो किसी विवाद या धोखाधड़ी की स्थिति में कानूनी राहत देता है।

डिजिटल गोल्ड’ पर नियंत्रण क्यों नहीं?

डिजिटल गोल्ड उत्पाद फिलहाल न तो सेबी के अधीन आते हैं, न ही आरबीआई के। इस वजह से यह पूरा क्षेत्र रेगुलेटरी ग्रे-ज़ोन में है। कई कंपनियां सोने की 99.9 फीसदी शुद्धता, सेफ वॉल्ट स्टोरेज जैसे दावे करती हैं, लेकिन इन दावों की न तो कोई स्वतंत्र ऑडिट होती है, न ही निवेशक को यह साबित करने का कोई दस्तावेज़ मिलता है कि सोना वास्तव में उसके नाम पर खरीदा गया है।  “यह निवेश जोखिम भरा है क्योंकि इसमें निवेशक और विक्रेता के बीच कोई रेगुलेटेड इंटरमीडियरी नहीं होता। अगर प्लेटफॉर्म बंद हो गया या दिवालिया हो गया, तो निवेशक का पैसा फँस सकता है।

कानूनी जोखिम भी हो सकता है

चूंकि डिजिटल गोल्ड उत्पाद किसी वैध विनियमित श्रेणी में नहीं आते, इसलिए यदि कोई विवाद या धोखाधड़ी होती है, तो निवेशक को सेबी, एनएसई, बीएसई या निवेशक संरक्षण फंड से कोई मदद नहीं मिलती। निवेशकों को केवल सिविल कोर्ट या कंज़्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज करनी पड़ती है जो एक लंबी प्रक्रिया है।

यह करना चाहिए 

-    केवल सेबी मान्यता प्राप्त गोल्ड ईटीएफ या ईजीआर में निवेश करना चाहिए।
-    किसी भी डिजिटल गोल्ड प्लेटफॉर्म का सेबी या एक्सचेंज पंजीकरण जांचना जरूरी

क्या नहीं करना चाहिए

-    ऐप्स या वेबसाइट्स पर बिना प्रमाण के सोने की खरीदारी न करें।
-    सोशल मीडिया या व्हाट्सऐप ग्रुप्स से निवेश सलाह न लें।
-    यह मानकर न चलें कि ‘डिजिटल’ होने से सुरक्षा बढ़ जाती है।

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