रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर लेसा में 5600 पद समाप्त, CM योगी से हस्तक्षेप की मांग

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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लखनऊ। लखनऊ की बिजली व्यवस्था को बचाने के लिए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है। समिति ने आरोप लगाया है कि रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर लेसा (लखनऊ इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एडमिनिस्ट्रेशन) में 5606 पद समाप्त कर दिए गए हैं, जिससे सभी वर्गों के बिजली कर्मियों में गहरा असंतोष व्याप्त है। 

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि प्रबंधन द्वारा जारी आदेशों के अनुसार, लेसा में कुल 5606 पद खत्म किए गए हैं, जिनमें 3305 संविदा कर्मियों और 2301 नियमित कर्मचारियों के पद शामिल हैं। उन्होंने कहा कि "रिस्ट्रक्चरिंग" के नाम पर यह कदम निजीकरण की तैयारी जैसा है, जो राजधानी की बिजली व्यवस्था को पूरी तरह पटरी से उतार देगा। 

उन्होंने कहा कि इस आदेश का सबसे बड़ा असर संविदा कर्मियों पर पड़ा है। समिति के अनुसार, 15 मई 2017 के शासनादेश के मुताबिक, शहरी क्षेत्र के प्रत्येक विद्युत उपकेंद्र पर 36 कर्मचारी होने चाहिए, जबकि लखनऊ में 154 उपकेंद्र हैं। इस आधार पर 5544 संविदा कर्मियों की आवश्यकता है, लेकिन नई व्यवस्था में यह संख्या घटाकर केवल 2239 कर दी गई है, यानी 3305 कर्मियों को एक झटके में हटाया जा रहा है। 

इसके अतिरिक्त 4 अधीक्षण अभियंता, 17 अधिशासी अभियंता, 36 सहायक अभियंता, 155 जूनियर इंजीनियर और 1517 टीजी-2 पद भी समाप्त कर दिए गए हैं। समिति ने चेतावनी दी कि जब तक सरकार निजीकरण और पदों की कटौती का निर्णय वापस नहीं लेती, आंदोलन जारी रहेगा। 

उन्होंने कहा कि बिजली कर्मी उपभोक्ताओं और किसानों के हित में सुधारों के पक्षधर हैं, लेकिन निजीकरण किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं। आज प्रदेश भर में लगातार 349वें दिन बिजली कर्मियों ने सभी जिलों और शक्ति भवन मुख्यालय पर वृहद विरोध प्रदर्शन किया। 

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