मेरा शहर मेरी प्रेरणा: डॉ. सुरेश बाबू मिश्रा की उपलब्धियों से शहर का नाम हुआ रोशन
वर्ष 1980 से 2017 तक शिक्षा विभाग में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे सुरेश बाबू मिश्रा राजकीय हाईस्कूल के प्रधानाचार्य पद से रिटायर हैं। सहमा हुआ शहर, लहू का रंग, थरथराती लौ, बलिदान की कहानियां, अविष्कार की कहानियां, संघर्ष का विगुल, जमीन से जुड़े लोग, साकार होते सपने, उजाले की किरन, जानलेवा धुआं, उनके कहानी, लघु उपन्यास, एकांकी और नाटक संग्रह हैं। वह 1984 से लेखन कार्य कर रहे हैं और अब तक लगभग सौ कहानियां एवं 150 लेख प्रकाशित हो चुके हैं। उत्कृष्टता के लिए उन्हें विभिन्न सामाजिक संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं।
साहित्य सिरोमणि डॉ. सुरेश बाबू मिश्रा का जन्म मूल रूप से जिला बदायूं के दातागंज के गांव चंदौखा के रहने वाले है। उनके परिजन खेती किसानी करते थे। वह तीन भाई और दो बहनों में सबसे छोटे है। शिक्षा-इंटरमीडिएट की पढ़ाई लिखाई दातागंज और बदायूं से की थी। इसके बाद बी.ए. मुरादाबाद से किया। डॉ. सुरेश बाबू मिश्रा 1980 से लेकर 2017 तक राष्ट्रीय प्रोढ़ शिक्षा विभाग में विभन्न पदों पर कार्य करते हुए 30 मार्च 2017 को राजकीय इंटर कॉलेज बरेली के प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में वह बरेली के राजेंद्र नगर में बांके बिहारी मंदिर के पास नीलकंठ मंदिर वाली गली में निवास करते हैं।
29 सितंबर 1980 को राष्ट्रीय प्रोढ़ शिक्षा अभियान के अन्तर्गत सहायक परियोजना अधिकारी के पद पर नियुक्ति हुई। प्रोढ़ शिक्षा अभियान के अन्तर्गत नव साक्षरों के लिए पुस्तक निर्माण हेतु साक्षरता निकेतन लखनऊ में लेखन कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता था। इन लेखन कार्यशालाओं में डॉ. सुरेश बाबू मिश्रा को भाग लेने के लिए सुअवसर मिला। इन लेखन कार्यशालाओं में लिखी गई उनकी सात पुस्तकें साक्षरता निकेतन लखनऊ से प्रकाशित हुईं। यह सभी पुस्तकें भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत की गईं। इसकी तीन-तीन लाख प्रतियां प्रकाशित की गईं। जिसकी रायलटी के रूप में प्रति पुस्तक तीन हजार रुपये की धनराशि प्रदान की गई।
उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन कार्यरत उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से साहित्य भूषण सम्मान 2018। उत्तर प्रदेश शासन के अधीन कार्यरत राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा दीर्घकालीन हिंदी साहित्य सेवा सम्मान 2019। विद्योत्मा फाउन्डेशन नासिक (महाराष्ट्र) द्वारा साहित्य सिरोमणि सम्मान 2022। नाथ द्वारा राजस्थान द्वारा शब्द सिरोमणि सम्मान 2023। मध्य प्रदेश सरकार के अधीन संचालित हिंदी साहित्य द्वारा अखिल भारतीय निर्मल वर्मा संस्मरण सम्मान 2024।
इसके साथ-साथ उन्हें विभिन्न साहित्यक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा 50 से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान प्रदान किए जा चुके हैं, जिनमें प्रमुख इस प्रकार हैं- रोटरी क्लब ऑफ बरेली साउथ द्वारा रुहेलखण्ड कहानी गौरव सम्मान। मानव सेवा क्लब बरेली द्वारा-कहानी श्री सम्मान-2015। श्रीमदार्यावर्त विद्वत परिषद, प्रयाग द्वारा-सम्मान पत्रम्। इनवर्टिस यूनिवर्सिटी द्वारा रुहेलखण्ड रत्न अवार्ड-2015। श्री सिद्धिविनायक ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स द्वारा पांचाल रत्न अवार्ड-2014। भारतीय पत्रकारिता संस्थान, बरेली उत्तर द्वारा साहित्य श्री सम्मान-2016। भारतीय सेवक समाज द्वारा नीरज वाला स्मृति सम्मान। हिन्दी साहित्य परिषद द्वारा कथा श्री सम्मान-2018।सुरेश बाबू मिश्र को प्रो. सर्वपल्ली राधाकृष्णन अंतरराष्ट्रीय सम्मान और नीदरलैंड और अबूधाबी से डाक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है।
वर्तमान में 17 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं
वर्तमान समय में डॉ. सुरेश बाबू मिश्रा की कुल 17 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें 12 कहानी संग्रह (दिल्ली व लखनऊ से). एक लघु उपन्यास, दो लघु कथा संग्रह, दो आलेख संग्रह, एक एकांकी संग्रह और एक नाट्य संग्रह। उनकी दो कहानी संग्रह ‘कैकटस के जंगल’ और ‘रावी की लहरें’ का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद हुआ है। एक कहानी संग्रह कैकटस के जंगल का अनुवाद मराठी भाषा में भी हुआ है। इस प्रकार मेरी उनकी प्रकाशित और अनुदित पुस्तकों की कुल संख्या 20 हो गई है। डॉ. सुरेश बाबू मिश्रा के लाख, कहानी एवं लघु कथा देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों ’और पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित होती रहती हैं।
