गांवों में रोजगार और रोशनी दोनों को बूस्ट करेगा बायोगैस प्लांट, अब राज्य के सभी गांवों की बदलेगी तस्वीर
बायोगैस संयंत्र से ग्राम पंचायत को 3 लाख रु. से अधिक आय, ग्रामीण आजीविका को मिली नई दिशा
लखनऊ, अमृत विचार: गांवों में अब सरकार की योजना बायोगैस प्लांट के जरिए रोजगार और रोशनी दोनों को बूस्ट करने की है। इस क्रम में ललितपुर का कारीपहाड़ी एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है। इस क्षेत्र को स्वच्छ ऊर्जा का ऐसा मॉडल गांव बनाया जा रहा है जिसके बाद राज्य के सभी गांवों की तस्वीर बदली नजर आएगी।
दरअसल, ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए पंचायतीराज विभाग ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-2 के अंतर्गत गोवर्धन परियोजना को नई गति दी है। अपशिष्ट को संपदा में बदलने के उद्देश्य से ललितपुर की ग्राम पंचायत कारीपहाड़ी में 85 घनमीटर क्षमता का बायोगैस संयंत्र स्थापित कर संचालित किया जा रहा है, जिसने ग्रामीण आजीविका और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं। यह संयंत्र प्रदेश में सफल एवं प्रेरक मॉडल के रूप में उभर रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
संयंत्र से उत्पन्न गैस के उपयोग से 15 केवीए क्षमता के जेनरेटर के माध्यम से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है, जिसका उपयोग दो निर्मित कक्षों में स्थापित आटा चक्की के संचालन के लिए किया जा रहा है। कम लागत पर उपलब्ध पिसा ई सुविधा के कारण आसपास के गांवों के लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं। संयंत्र से लाभान्वित परिवारों से 250 रु. प्रतिमाह गैस शुल्क, तथा आटा पिसाई पर 1 रु. प्रति किलो शुल्क निर्धारित किया गया है। संयंत्र से प्राप्त जैविक खाद (स्लरी) को क्षेत्र के कृषि किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे फसलों की उत्पादकता में सुधार के साथ ग्रामीणों को जैविक उर्वरक का विकल्प मिल रहा है।
संयंत्र संचालन को एक स्थानीय किसान को केयर-टेकर के रूप में नियुक्त किया गया है, जिन्हें 5000 रु. मासिक मानदेय प्रदान किया जा रहा है। इस मॉडल से प्रेरित होकर अन्य ग्राम पंचायतों में भी समान परियोजनाएं स्थापित करने की दिशा में रुचि बढ़ी है।
ग्राम पंचायत कारीपहाड़ी का यह सफल मॉडल पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा स्रोत है, और इसे अधिकाधिक ग्राम पंचायतों में लागू किया जाएगा। ऐसी सफल पहलों को प्रदेश भर में विस्तार दिया जाना है। - ओमप्रकाश राजभर, पंचायतीराज मंत्री
