न्यायिक ढांचे के विस्तार में देरी से लखनऊ हाईकोर्ट नाराज, प्रदेश में 9149 नई अदालतों के गठन का मामला
लखनऊ, अमृत विचार: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश में न्यायिक ढांचे के विस्तार को लेकर राज्य सरकार की सुस्ती पर कड़ा रुख अपनाते हुए करीब 900 नई अदालतों तथा संबंधित पदों के सृजन के संबंध में दाखिल शपथ पत्रों को असंतोषजनक बताया है। हालांकि कोर्ट ने उम्मीद भी जताई है कि सरकार अब ठोस कार्रवाई करेगी।
मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 दिसम्बर की तिथि नियत करते हुए, वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव या सचिव स्तर के अधिकारी तथा प्रमुख सचिव, विधि (एलआर) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होकर अब तक उठाए गए कदमों पर संतोषजनक स्पष्टीकरण देने और संबंधित अभिलेख प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने यह आदेश उक्त प्रकरण में स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने यह स्पष्ट किया कि 17 अक्टूबर के आदेश में उल्लिखित एलआर का यह कथन कि राज्य सरकार के 17 अप्रैल के पत्र का कोई उत्तर नहीं भेजा गया था। जो तथ्यात्मक रूप से गलत है, क्योंकि इसका उत्तर 9 मई को ही भेज दिया गया था। इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया कि संबंधित अभिलेख शपथपत्र के माध्यम से प्रस्तुत किए जाएं।
वहीं राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि उच्च स्तरीय समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार पहले चरण में 2693 पद/अदालतें स्वीकृत की जानी थीं, जिनमें से वर्तमान वित्तीय वर्ष में 900 पद स्वीकृत किए जाने थे। अब तक लगभग 72 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत किया गया है।
हालांकि कोर्ट ने इस पर गंभीर असंतोष जताते हुए कहा कि अदालतें/पद सृजित ही नहीं हुए। मात्र सिद्धांततः वित्तीय भार को मंजूरी दी गई है, वह भी बिना कोई दस्तावेज संलग्न किए। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि वित्त वर्ष समाप्त होने में केवल पांच महीने शेष हैं, इसलिए सरकार को मामले की तात्कालिकता और महत्त्व को समझकर ठोस निर्णय लेने होंगे।
900 न्यायिक अधिकारियों के पद का होना है सृजन
वित्त विभाग की सलाह के अनुसार प्रथम वर्ष में कुल 900 अदालतें/समकक्ष पद सृजित किए जाने का प्रस्ताव है। जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा इम्तियाज अहमद मामले में दिए आदेश के अनुपालन हेतु निर्धारित 9149 अदालतों/पदों के लक्ष्य का हिस्सा है। पदों का वर्गवार विवरण देते हुए बताया गया कि एचजेएस के 225, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के 375 तथा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के 300 पद सृजित किए जाने हैं। इसके साथ ही वित्त विभाग ने यह भी सलाह दी है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में केवल पांच महीने शेष होने के कारण संबंधित प्रशासनिक विभाग को स्वयं यह सुनिश्चित करना होगा कि आवंटित बजट हेड में उपयुक्त धनराशि उपलब्ध हो।
केन्द्रीय उपभोक्ता आयोग से पूछा, दो साल से जांच लंबित क्यों
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुटखा कंपनियों का प्रचार करने के मामले में केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण से पूछा है कि 2023 में याची द्वारा दिए गए प्रत्यावेदन पर अब तक जांच लंबित क्यों है। कोर्ट ने आयोग को नोटिस जारी करते हुए, चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर दिया है। हालांकि न्यायालय ने याचिका में की गई प्रार्थनाओं को विचार के योग्य नहीं माना लेकिन सुनवाई के दौरान यह संज्ञान में आने पर कि याची के प्रत्यावेदन पर 12 सितंबर 2023 के आदेश के तहत मामले में जांच शुरू की गई थी, उपरोक्त आदेश दिया है।
क्रिकेटरों व फिल्म अभिनेताओं द्वारा गुटखा कंपनियों के प्रचार का मामला
याचिका में सम्बंधित गुटखा कंपनियों के साथ-साथ क्रिकेटर कपिल देव, सुनील गावस्कर, वीरेंद्र सहवाग, क्रिस गेल तथा अभिनेताओं अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, अजय देवगन, सलमान खान, रितिक रोशन, टाइगर श्राफ, सैफ अली खां व रणवीर सिंह को भी विपक्षी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि उक्त हस्तियां जो पान मसाला कंपनियों का प्रचार कर रही हैं, उनमें से अधिकांश पद्म पुरस्कार धारक हैं और उनके द्वारा किए जाने वाले ऐसे विज्ञापनों से समाज में गलत संदेश जाता है, साथ ऐसे विज्ञापन उपभोक्ता कानूनों का उल्लंघन भी हैं।
