यूपी पॉलिटिक्स : इस बार कानपुर से कौन बनेगा मंत्री ! भाजपा ने बीते 45 साल में कानपुर से बनाए 5 मंत्री
शैलेश अवस्थी/कानपुर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नए प्रदेश अध्यक्ष का एलान शीघ्र होने वाला है और इसके बाद खरमास खत्म होते ही जनवरी के आखिर तक पार्टी संगठन पर फोकस करेगी और साथ ही मंत्रिमंडल में भी फेरबदल हो सकता है।
बिहार चुनाव में ज़बरदस्त जीत के बाद अब भाजपा अब उत्तप्रदेश पर फोकस कर रही है। लोकसभा चुनाव में पीछे रहने के बाद अब 2027 फतह के लिए तैयारी तेज़ कर दी गई है। सपा के पीडीए की काट हिंदुत्व और पीडी से करने की रणनीति है। लखनऊ में संघ, सरकार और संगठन की समन्वय बैठक के बाद दिल्ली में भी बैठक हो चुकी है। माना जा रहा है कि हर पहलू पर विचार के बाद अब रोडमैप लगभग तैयार है।
नया प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है। हिंदुत्व और जातीय समीकरण को ध्यान रखते हुए ओहदे तय होंगे। बताया जाता है कि इस बार कानपुर मंत्री विहीन नहीं रहेगा। ज़िले में अब भाजपा के छह विधायक और चार एमएलसी हैं। भाजपा कैडर के विधायक को मौका मिल सकता है।
मानवेन्द्र सिंह, सुरेंद्र मैथानी या अरुण पाठक की किस्मत खुल सकती है। ये किसी गुटबाज़ी से दूर दिल्ली और लखनऊ दरबार के नज़दीक हैं। नाम तो महेश त्रिवेदी का भी चर्चा में है, लेकिन पिछले दिनों उनके कमीशन वाले बयान से पार्टी असहज है। यह भी तथ्य है कि मानवेन्द्र सिंह संगठन में पकड़ रखते हैं और पार्टी की अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं।
यह भी चर्चा है कि कानपुर देहात से यदि प्रतिभा शुक्ला का पत्ता कटा तो शहर से एक मंत्री बनना तय है। वैसे भी एक राज्यमंत्री शहर को मिल सकता है। इधर, विपक्ष ने ब्राह्मण विरोधी आरोप सत्ता पर लगाए तो उसकी काट के लिए कोई निर्विवाद ब्राह्मण चेहरे को जगह मिल सकती है।
नीलिमा कटियार के लिए भी एक गुट पूरी कोशिश में है। राहुल बच्चा पहली बार विधायक बने हैं तो उनकी संभावना कम है। अब कमेटियों और आयोगों के गठन के साथ पार्षदों का मनोनयन भी होना है। इनमें से भी शहर के कुछ नेताओं का समायोगित किया जाना तय है।
भाजपा से ये रह चुके हैं मंत्री
पिछले 45 साल में भाजपा से बालचंद मिश्रा, प्रेमलता कटियार, सतीश महाना, सत्यदेव पचौरी और नीलिमा कटियार। सतीश महाना दो बार मंत्री बने और अब विधानसभा अध्यक्ष हैं। राज्यमंत्री का दर्ज़ा तो कई को मिल चुका है।
कांग्रेस और अन्य दलों से इन्हें मौका मिला था
जवाहरलाल रोहतगी, अब्दुल रहमान नश्तर, सुशीला रोहतगी, राम नारायण पाठक, जनता पार्टी से गणेश दत्त वाजपेई और लोकदल से मनोहरलाल मंत्री बनाए गए थे। इसी तरह बसपा से अनंत मिश्रा अंटू।
इन्हें बेहद महत्वपूर्ण ओहदे
वीरेंद्र स्वरूप विधानपरिषद के अध्यक्ष, वीरेंद्र बहादुर सिंह चंदेल विधान परिषद के अध्यक्ष, हरि किशन श्रीवास्तव विधानसभा अध्यक्ष और अब सतीश महाना विधानसभा अध्यक्ष। सपा से सुखराम सिंह विधान परिषद के अध्यक्ष बने थे। आज़ादी से पहले गणेश शंकर विधार्थी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और बाद में श्रीप्रकाश जायसवाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने। केके सचान बसपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे।
साध्वी निरंजन ज्योति हो सकती हैं प्रदेश अध्यक्ष...
कानपुर: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में अब साध्वी निरंजन ज्योति का नाम आगे माना जा रहा है। इसके पीछे सोच है कि वह बीजेपी के हालिया समीकरण में बिल्कुल सटीक हैं। बीजेपी साध्वी निरंजन ज्योति को अध्यक्ष बनाती है तो वह प्रदेश की पहली महिला अध्यक्ष होंगी। वैसे चर्चा में बीएल वर्मा, धर्मपाल सिंह, रामशंकर कठेरिया, अशोक कटारिया, गोविंद शुक्ला और दिनेश शर्मा के भी नाम हैं।
