आखिर क्यों नहीं भर पा रहे एआरपी के पद... प्रदेश में 4,130 पद सृजित, 2,755 पदों पर चयन हुआ
प्रत्येक ब्लॉक में 5 एआरपी का चयन किया जाना है
मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ, अमृत विचार : शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) का चयन किया जाना है। प्रत्येक ब्लॉक में 5 एआरपी का चयन किया जाएगा। लेकिन कई बार तिथि बढ़ाने के बावजूद इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है। स्कूली शिक्षा महानिदेशालय ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाकर निर्धारित समयसीमा में यह कार्य पूरा किया जाए। इसके बावजूद प्रदेश भर में 1,375 पद खाली पड़े हैं।
राजधानी लखनऊ में भी कई बार तिथि बढ़ाने के बावजूद एआरपी पदों के लिए आवेदन में रुचि नहीं दिखाई गई। एआरपी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रताप शाही का कहना है, “एआरपी से विभिन्न गैर शैक्षणिक कार्य कराने की वजह से शिक्षक आवेदन करने में संकोच करते हैं। कुछ अधिकारी विभागीय कार्यों के लिए दबाव डालते हैं, जिससे विभिन्न जिलों में एआरपी और अधिकारियों के बीच आपसी टकराव की खबरें भी आती हैं।” जबकि एआरपी का कार्य परिषदीय विद्यालयों में अध्ययरत बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्धन के साथ विभिन्न शैक्षणिक योजनाओं और नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
एआरपी की चयन प्रक्रिया
एआरपी का चयन जिला स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति के माध्यम से तीन चरणों में होता है।
प्रथम चरण में लिखित परीक्षा में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले शिक्षक द्वितीय चरण माइक्रो टीचिंग में प्रतिभाग करते हैं। इसमें सफल होने वाले शिक्षक तीसरे चरण साक्षात्कार में शामिल होते हैं।
साक्षात्कार के उपरांत चयनित शिक्षक की मेरिट के आधार पर चयनित किया जाता है और उन्हें ब्लॉक में तीन वर्ष के कार्यदायित्व के लिए नियुक्त किया जाता है।
“प्रदेश में एआरपी एसोसिएशन का गठन हो गया है जो एआरपी के हितों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर है। इच्छुक शिक्षकों को एआरपी पद हेतु आवेदन करना चाहिए और इस पद पर रहते हुए बच्चों की शिक्षा गुणवत्ता और शैक्षणिक सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए।”
— हरिशंकर राठौर, एआरपी जिलाध्यक्ष, लखनऊ
