नेशनल हेराल्ड मामला : ईडी का बड़ा फैसला, सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ नए सिरे से आरोप पत्र दाखिल करेगी

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) नेशनल हेराल्ड धनशोधन मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई नवीनतम प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ-साथ अन्य लोगों के खिलाफ नया आरोप पत्र दाखिल करेगा। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इससे पहले दिन में, यहां की एक निचली अदालत ने अप्रैल में ईडी द्वारा सोनिया-राहुल गांधी के साथ-साथ कुछ अन्य लोगों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था।

विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि इस मामले में दाखिल आरोपपत्र एक निजी व्यक्ति की शिकायत पर की गई जांच पर आधारित है, न कि किसी मूल अपराध से संबंधित प्राथमिकी पर। उन्होंने कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत इस पर संज्ञान लेना स्वीकार्य नहीं है। अधिकारियों ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि ईडी सॉलिसिटर जनरल (एसजी) या अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) से राय लेने के बाद विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के आदेश के खिलाफ अपील दायर कर सकती है। 

अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने इसे जीत करार दिया और आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार की ‘‘अवैधता’’ और उसके ‘‘राजनीतिक रूप से प्रेरित अभियोजन’’ का पूरी तरह से पर्दाफाश हो गया है। अधिकारियों ने कहा कि अदालत ने ईडी ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) को रद्द नहीं किया है, जो पीएमएलए में पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के समकक्ष है। इसे 30 मई, 2021 को दायर किया गया था और इस पर पूरा मामला आधारित है। इसी ईसीआईआर के आधार पर ईडी ने आरोप पत्र दाखिल किया था।

इसमें आरोप लगाया गया था कि गांधी परिवार ने व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने पद का ‘‘दुरुपयोग’’ किया और सोनिया-राहुल गांधी के ‘‘स्वामित्व वाली’’ निजी कंपनी यंग इंडियन (वाईआई) ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों का मात्र 50 लाख रुपये में ‘‘अधिग्रहण’’ कर लिया, जो कि इसके वास्तविक मूल्य का काफी कम आंकलन था। 

एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार और वेब पोर्टल का प्रकाशक है और यह यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व में है। अधिकारियों ने बताया कि नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की 2021 की ईसीआईआर (प्राथमिकी)यथावत है। अदालत ने केवल इतना कहा है कि आरोपपत्र का संज्ञान लेना अनुचित है। उन्होंने बताया कि एजेंसी ने अपने मामले और जांच को मजबूत कानूनी आधार पर बनाए रखने के लिए पुलिस की आर्थिक अपराधा शाखा (ईओडब्ल्यू) की तीन अक्टूबर की प्राथमिकी को अपनी मौजूदा ईसीआईआर में मिला दिया है। 

अधिकारियों ने एजेंसी को बताया कि एजेंसी ने इस मामले में जांच के दौरान एकत्र किए गए दस्तावेजी ‘‘सबूत’’ सितंबर में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के साथ साझा किए थे, जो तीन अक्टूबर को पुलिस द्वारा आपराधिक शिकायत दर्ज करने का आधार बने। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा मामले में आरोप पत्र दाखिल किये जाने के बाद ईडी अपने स्तर पर नया आरोप पत्र दाखिल करेगी। 

अधिकारियों ने बताया कि ईडी नया आरोप पत्र दाखिल करने से पहले आरोपियों से दोबारा पूछताछ कर सकती है। जांच एजेंसी के मुताबिक यंग इंडियन की बहुमत हिस्सेदारी गांधी परिवार के सदस्यों (प्रत्येक के पास 38 प्रतिशत शेयर हैं)के अलावा कुछ अन्य लोगों के पास है जिनसे कुछ साल पहले घंटों पूछताछ की गई थी। 

एजेंसी ने धनशोधन रोधी विरोधी कानून के तहत इस जांच के हिस्से के रूप में कुर्क की गई एजेएल की 751.91 करोड़ रुपये की संपत्ति का नियंत्रण लेने के लिए फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की है। पीएमएलए के न्याय निर्णायक प्राधिकरण ने इस अंतरिम कुर्की आदेश को बरकरार रखा है और यह समझा जाता है कि दो आरोपपत्र (ईओडब्ल्यू और ईडी) दाखिल होने के बाद ईडी संपत्तियों को कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू करेगी। 

पुलिस (ईओडब्ल्यू) ने तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाए हैं और सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस नेता सुमन दुबे और सैम पित्रोदा, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज लिमिटेड जैसी संस्थाओं, डोटेक्स के प्रवर्तक सुनील भंडारी, एजेएल और अज्ञात अन्य लोगों को नामजद किया है।

ईडी ने भी अपने आरोप पत्र में इन सभी को आरोपी बनाया जिसपर अदालत ने मंगलवार को संज्ञान में लेने से इनकार कर दिया। ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच शुरू कर दी है और ऐसी खबरें हैं कि उसने हाल ही में कर्नाटक कांग्रेस के नेता और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार को नोटिस जारी किया है। ईडी ने इस मामले में कथित अपराध से प्राप्त धनराशि (पीएमएलए के तहत अवैध धन) 988.03 करोड़ रुपये आंकी है।  

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