खुद बनाते थे नकली कागजात, विभागीय अफसरों की मिलीभगत से चल रहा था खेल
तत्कालीन रजिस्ट्रार मदरसा बोर्ड व ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की भूमिका संदिग्ध
लखनऊ, अमृत विचार: मदरसों में फर्जी नियुक्तियों का मामला जांच के दायरे में आने पर कई गहरे राज सामने आए हैं। जनहित याचिकर्ता मो. इमरान का आरोप है कि अहमदुल कादरी विभाग से सेटिंग कर शासकीय धन में गबन करता था, जबकि अजीज अहमद फर्जी पत्रावली खुद तैयार करता था। इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन रजिस्ट्रार मदरसा बोर्ड आर.पी. सिंह और ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पवन कुमार सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
बलरामपुर में मदरसा नियुक्ति फर्जीवाड़े में प्रधानाचार्य समेत तीन लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई। तत्कालीन अधिकारी आर.पी. सिंह व पवन कुमार सिंह पर कार्रवाई अभी शेष है। मामले में मो. हसन रजा को 25 मई 2020 को मदरसा जामिया अनवारूल उलूम में कनिष्ठ सहायक पद पर नियुक्त किया गया। विवादास्पद दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि शपथ पत्र फर्जी था और इसे लिपिक अज़ीज़ अहमद अंसारी ने खुद लिखा।
जनहित याचिकर्ता मो. इमरान ने कहा कि यदि अहमदुल कादरी व अजीज अहमद से जुड़े प्रत्येक मदरसों की जांच कराई जाए तो कई और तथ्य सामने आ सकते हैं। साथ ही शासन भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने में सक्रिय है, जबकि मदरसा स्तर के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर विभाग ने अपना पक्ष साफ कर लिया।
मदरसा फजले रहमानिया, संस्था अंजुमन नाशिरुल उलूम पचपेड़वा में भी गबन के आरोप लगे। वर्तमान प्रबंधक अहमदुल कादरी ने पूर्व प्रबंधक शब्बीर हसन खां पर 43 लाख रुपये से अधिक धनराशि हड़पने का आरोप लगाया। जांच में पाया गया कि संस्था के खाते में 2018-19 और 2019-20 में चंदा, दान व इमदाद के रूप में कुल 40,66,141 रुपये आए। इस मामले में छह लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई और कई आरोपी जेल भेजे गए।
इस तरह, फर्जी नियुक्तियों और दस्तावेजों के मामले में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से मदरसों में भ्रष्टाचार और धन हेराफेरी का खेल लंबे समय तक चलता रहा।
